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मिग-21 की विदाई: तेजस से होगी भारतीय वायुसेना की नई शुरुआत

भारत का पहला सुपरसोनिक लड़ाकू विमान मिग-21 आज रिटायर हो रहा है, जिसने 60 वर्षों तक देश की सेवा की। इस विदाई के साथ, भारतीय वायुसेना में तेजस लड़ाकू विमान की एंट्री होगी, जो मिग-21 की जगह लेगा। तेजस Mk1A का अगला महीने में लॉन्च होने वाला है, जो भारतीय वायुसेना के आधुनिकीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। जानें इस बदलाव के बारे में और क्या नई तकनीकें शामिल होंगी।
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मिग-21 की विदाई: तेजस से होगी भारतीय वायुसेना की नई शुरुआत

मिग-21 का रिटायरमेंट

मिग-21 का विदाई समारोह: भारत का पहला सुपरसोनिक लड़ाकू विमान मिग-21 आज अपनी सेवाएं समाप्त कर रहा है। इस विमान ने 60 वर्षों से अधिक समय तक देश की रक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। आज इसे औपचारिक रूप से रिटायर किया जाएगा। चंडीगढ़ वायुसेना स्टेशन पर एक विशेष विदाई समारोह का आयोजन किया जा रहा है, जहां एयर चीफ मार्शल एपी सिंह एक अनोखे क्लाउड फॉर्मेशन में मिग-21 को अंतिम बार उड़ाएंगे।


इसके बाद, मिग-21 का उपयोग बंद कर दिया जाएगा और यह भारतीय सैन्य इतिहास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन जाएगा, जिससे एक महत्वपूर्ण अध्याय का अंत होगा। अब सभी के मन में यह सवाल उठता है कि मिग-21 की जगह कौन लेगा। आइए जानते हैं इसका उत्तर।


मिग-21 की जगह कौन लेगा?

जैसे ही मिग-21 रिटायर हो रहा है, भारतीय वायु सेना के स्क्वाड्रनों की संख्या कुछ समय के लिए घट जाएगी। हालांकि, इस कमी को भारत के स्वदेशी एडवांस लड़ाकू विमान तेजस द्वारा पूरा किया जाएगा। तेजस पहले से ही भारतीय वायुसेना के दो स्क्वाड्रनों में सक्रिय है, जिनमें नंबर 45 स्क्वाड्रन फ्लाइंग डैगर्स और नंबर 18 स्क्वाड्रन फ्लाइंग बुलेट्स शामिल हैं।


जल्द ही कोबरा (नंबर 3 स्क्वाड्रन) नामक एक तीसरा तेजस स्क्वाड्रन भी स्थापित किया जाएगा। यह नया स्क्वाड्रन राजस्थान में तैनात होगा, जिससे पश्चिमी सीमाओं की सुरक्षा को मजबूत किया जा सके और भविष्य के खतरों का सामना करने की तैयारी में सुधार किया जा सके।


तेजस Mk1A का आगमन

तेजस Mk1A का लॉन्च: तेजस का एक उन्नत संस्करण, तेजस Mk1A, अगले महीने तैयार हो जाएगा। इसे हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) अपनी नासिक फैक्ट्री में विकसित कर रहा है। इसमें एक आधुनिक रडार सिस्टम, उन्नत इलेक्ट्रॉनिक युद्ध सेवाएं और बेहतर कॉम्बेट प्रदर्शन शामिल होगा। तेजस Mk1A भारत को अधिक आत्मनिर्भर बनाने, विदेशी विमानों पर निर्भरता कम करने और स्वदेशी तकनीक के साथ भारतीय वायु सेना के आधुनिकीकरण में मदद करेगा।