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योग दिवस: योग की यात्रा और वैश्विक प्रभाव

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर, योग की यात्रा और इसके वैश्विक प्रभाव पर चर्चा की गई है। योग का महत्व, इसकी उत्पत्ति, महर्षि पतंजलि का योगदान और आज के समय में योग का बाजार कैसे विकसित हो रहा है, इस लेख में जानें। योग ने न केवल स्वास्थ्य को बढ़ावा दिया है, बल्कि यह एक आर्थिक अवसर भी बन गया है। जानें कि योग कैसे आम लोगों के जीवन का हिस्सा बन गया है और इसके पीछे की प्रेरणादायक कहानियाँ।
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योग का महत्व और विकास

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर, दुनिया भर से योग साधना की अनोखी तस्वीरें सामने आईं। पिछले कुछ वर्षों में, योग को आम जनता ने तेजी से अपनाया है और इसे अपने कल्याण का एक साधन माना है। आज की तेज़-तर्रार और डिजिटल जीवनशैली में, लोग खुद को अकेला महसूस कर रहे हैं। ऐसे में योग का उद्देश्य व्यक्ति के शारीरिक, मानसिक, नैतिक, आध्यात्मिक और सामाजिक विकास को बढ़ावा देना है। इसे जीवन जीने की कला के रूप में देखा जाता है। देश में नए योग प्रशिक्षकों की संख्या तेजी से बढ़ रही है, जो योगासनों के माध्यम से गंभीर बीमारियों से राहत दिलाने का दावा कर रहे हैं। इस लेख में हम जानेंगे कि योग आस्था है या चिकित्सा, और यह कैसे आम लोगों तक पहुंचा।


आदि योगी और सप्त ऋषियों का ज्ञान

योग की उत्पत्ति मानव सभ्यता के विकास के साथ मानी जाती है। उस समय न तो धर्म था, न जाति का बंधन। कुदरत की चुनौतियों का सामना करते हुए, मानव ने तरक्की के नए रास्ते खोजे। श्रुति परंपरा के अनुसार, लगभग 15,000 साल पहले हिमालय में एक योगी आए, जिन्होंने महीनों तक ध्यान किया। अंततः, केवल सात लोग उनके पास रुके, जिन्हें सप्त ऋषि कहा गया। यह योगी भगवान शिव थे, जिन्हें आदि योगी कहा जाता है। उन्होंने सप्त ऋषियों को योग का ज्ञान दिया, और यह ज्ञान 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाया जाता है।


महर्षि पतंजलि का योग दर्शन

महर्षि पतंजलि ने योग को व्यवस्थित और वैज्ञानिक रूप दिया। उन्होंने योग के चार हिस्से निर्धारित किए: समाधिपाद, साधनपाद, विभूतिपाद और कैवल्यपाद। उस समय के ऋषियों ने ज्ञान की खोज के लिए मानव शरीर को प्रयोग का माध्यम बनाया। यह भारतीय दर्शन, कला और विज्ञान पर योग के प्रभाव को दर्शाता है।


आदि शंकराचार्य और योग का प्रसार

भगवान बुद्ध भी एक महान योगी थे, जिन्होंने बौद्ध धर्म के माध्यम से मोक्ष का मार्ग दिखाया। आदि शंकराचार्य ने भारत को सांस्कृतिक रूप से जोड़ने के लिए मठों की स्थापना की और योग परंपरा को नया जीवन दिया। उन्होंने राज योग को आगे बढ़ाया और गुरु गोरखनाथ ने हठ योग को विकसित किया।


योग का वैश्विक बाजार

आज योग का बाजार तेजी से बढ़ रहा है। 2023 में, योग का वैश्विक बाजार लगभग 115 अरब डॉलर का था, और 2032 तक इसके 250 अरब डॉलर से अधिक होने की उम्मीद है। योग सिखाने का व्यवसाय अब भारत के शहरों में तेजी से फैल रहा है। यह एक ऐसा साधन है जो बिना किसी खर्च के लोगों को स्वस्थ रखने में मदद करता है।