रूस ने ईंधन निर्यात पर प्रतिबंध लगाया: वैश्विक ऊर्जा बाजार पर प्रभाव

रूस ने ईंधन निर्यात पर रोक लगाई
रूस ने ईंधन निर्यात पर प्रतिबंध लगाया: यूक्रेन और रूस के बीच बढ़ते तनाव ने वैश्विक ऊर्जा बाजार को प्रभावित किया है। यूक्रेन के ड्रोन हमलों ने रूस की तेल रिफाइनरियों को गंभीर नुकसान पहुँचाया है, जिसके परिणामस्वरूप रूस ने डीजल निर्यात पर आंशिक रोक और गैसोलीन निर्यात पर प्रतिबंध को 2025 के अंत तक बढ़ाने का निर्णय लिया है। यह कदम रूस की आंतरिक ईंधन आपूर्ति को सुरक्षित करने के लिए उठाया गया है, लेकिन इसके वैश्विक अर्थव्यवस्था पर दूरगामी प्रभाव पड़ सकते हैं।
रूस में तेल रिफाइनिंग में गिरावट
यूक्रेन के ड्रोन हमलों ने रूस की तेल रिफाइनरियों को भारी नुकसान पहुँचाया है। रिपोर्ट के अनुसार, इन हमलों के कारण रूस का तेल शोधन स्तर कुछ दिनों में लगभग 20 प्रतिशत तक गिर गया है। प्रमुख बंदरगाहों से ईंधन निर्यात भी प्रभावित हुआ है। रूस के उपप्रधानमंत्री अलेक्जेंडर नोवाक ने कहा कि इन हमलों ने तेल उत्पादों की कमी पैदा की है, जिसे मौजूदा स्टॉक से पूरा किया जा रहा है।
निर्यात पर अंकुश
नोवाक ने हाल ही में डीजल निर्यात पर आंशिक प्रतिबंध की घोषणा की, जबकि गैसोलीन निर्यात पर पहले से लागू रोक को दिसंबर 2025 तक बढ़ा दिया गया। यह निर्णय रूस की घरेलू ईंधन आवश्यकताओं को प्राथमिकता देने के लिए लिया गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम रूस की ऊर्जा रणनीति में बदलाव का संकेत देता है, जो वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला को प्रभावित कर सकता है।
वैश्विक बाजार पर प्रभाव
रूस विश्व के सबसे बड़े तेल निर्यातकों में से एक है। डीजल और गैसोलीन निर्यात पर रोक से वैश्विक ईंधन कीमतों में वृद्धि हो सकती है, विशेषकर यूरोप में, जो रूसी डीजल पर निर्भर है। भारत जैसे देश, जो रूसी तेल के बड़े खरीदार हैं, भी इस कमी से प्रभावित हो सकते हैं। इससे वैश्विक व्यापार और अर्थव्यवस्था पर दबाव बढ़ेगा।
रणनीतिक चुनौतियाँ
रूस का यह निर्णय यूक्रेन के साथ चल रहे संघर्ष में एक नया मोड़ है। ड्रोन हमले रूस की ऊर्जा बुनियादी ढांचे की कमजोरियों को उजागर करते हैं। रूस अब अपनी रिफाइनरियों की सुरक्षा बढ़ाने और वैकल्पिक आपूर्ति मार्गों पर विचार कर रहा है। यह प्रतिबंध रूस की घरेलू स्थिरता को बनाए रखने की कोशिश है, लेकिन वैश्विक ऊर्जा संकट को और गहरा कर सकता है।