क्या भारतीय रुपया फिर से मजबूत हो रहा है? जानें इसके पीछे की वजहें
रुपये की मजबूती का नया दौर
एक समय था जब भारतीय रुपया डॉलर के मुकाबले कमजोर नजर आता था, लेकिन अब स्थिति बदलती दिख रही है। बुधवार को शुरुआती कारोबार में रुपया 26 पैसे की बढ़त के साथ 85.54 प्रति डॉलर पर पहुंच गया। इसके पीछे कई कारण हैं, जैसे विदेशी निवेशकों की शेयर बाजार में वापसी, डॉलर की कमजोरी और अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट। पिछले तीन कारोबारी दिनों में रुपया एक रुपए से अधिक मजबूत हो चुका है।
विदेशी निवेश और डॉलर की कमजोरी
बुधवार को इंटरबैंक फॉरेन करेंसी मार्केट में रुपया 85.66 पर खुला और जल्द ही 85.54 पर पहुंच गया। मंगलवार को यह 85.80 पर बंद हुआ था, जिससे उस दिन भी 30 पैसे की मजबूती देखी गई थी। इससे पहले शुक्रवार को 58 पैसे की बढ़त देखने को मिली थी। इस तरह, तीन कारोबारी दिनों में रुपया 1 रुपए से अधिक मजबूत हुआ है।
डॉलर इंडेक्स में गिरावट
डॉलर इंडेक्स, जो छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले डॉलर की स्थिति को दर्शाता है, 0.47% गिरकर 99.49 पर आ गया है। यह 1 मार्च 2022 के बाद का सबसे निचला स्तर है। यह गिरावट दर्शाती है कि डॉलर की ताकत अब कमजोर हो रही है, जबकि भारत जैसे उभरते बाजार की मुद्रा मजबूत हो रही है।
कच्चे तेल की कीमतों में कमी
अंतरराष्ट्रीय बाजार में ब्रेंट क्रूड की कीमत 0.36% गिरकर 64.44 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गई है। यह कीमत अप्रैल 2021 के बाद का सबसे निचला स्तर है। कच्चे तेल की गिरती कीमतें भारत जैसे आयात-निर्भर देशों के लिए आर्थिक राहत का कारण बनती हैं और रुपये को भी मजबूती प्रदान करती हैं।
शेयर बाजार का सकारात्मक रुख
हालांकि बुधवार को सेंसेक्स 118.02 अंक गिरकर 76,616.87 और निफ्टी 41.10 अंक गिरकर 23,287.45 पर बंद हुआ, लेकिन मंगलवार को दोनों इंडेक्स में 2% से अधिक की बढ़त देखी गई थी। कुल मिलाकर, दो दिनों में बाजार 4% चढ़ चुका है। एक्सचेंज के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशकों ने मंगलवार को ₹6,065.78 करोड़ की शुद्ध खरीदारी की है, जो रुपये को मजबूती देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।
महंगाई में कमी और निर्यात में वृद्धि
सरकार द्वारा मंगलवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, मार्च में थोक महंगाई घटकर 2.05% पर आ गई, जो पिछले 6 महीनों का सबसे निचला स्तर है। वहीं खुदरा महंगाई 3.34% पर आ गई, जो लगभग 6 साल का निचला स्तर है। इसके अलावा, मार्च में निर्यात 0.7% बढ़कर 41.97 अरब डॉलर पर पहुंच गया है, जबकि पूरे वित्त वर्ष में भारत का कुल निर्यात 820 अरब डॉलर रहा, जो अब तक का सर्वाधिक है। यह सब दर्शाता है कि भारत की अर्थव्यवस्था वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच भी स्थिर और आत्मनिर्भर बनती जा रही है।