2025 में भारतीय कैपिटल मार्केट में निवेश बैंकरों की रिकॉर्ड कमाई
साल 2025 भारतीय कैपिटल मार्केट के लिए निवेश बैंकरों के लिए एक लाभदायक वर्ष साबित हुआ है। आईपीओ बाजार की तेज गति के चलते बैंकरों ने रिकॉर्ड कमाई की है, जिसमें 4,113 करोड़ रुपये की फीस शामिल है। इस वर्ष 100 से अधिक कंपनियों ने शेयर बाजार में प्रवेश किया और 1.75 लाख करोड़ रुपये से अधिक की पूंजी जुटाई। विशेषज्ञों का मानना है कि अगले वर्ष भी यह रफ्तार जारी रहेगी, जिससे निवेश बैंकों की कमाई में और वृद्धि हो सकती है।
| Dec 30, 2025, 21:59 IST
2025 का साल: निवेश बैंकरों के लिए सुनहरा अवसर
साल 2025 भारतीय कैपिटल मार्केट के लिए निवेश बैंकरों के लिए एक लाभदायक वर्ष साबित हुआ है। आईपीओ बाजार की तेज गति के चलते इन्वेस्टमेंट बैंकों ने अभूतपूर्व कमाई की है। हालिया आंकड़ों के अनुसार, इस वर्ष आईपीओ से संबंधित सौदों में बैंकरों ने लगभग 4,113 करोड़ रुपये की फीस अर्जित की है, जो पिछले वर्ष 2024 के 3,463 करोड़ रुपये से कहीं अधिक है।
आईपीओ की संख्या और पूंजी जुटाने का आंकड़ा
इस दौरान, देश में 100 से अधिक कंपनियों ने शेयर बाजार में प्रवेश किया और कुल मिलाकर 1.75 लाख करोड़ रुपये से अधिक की पूंजी जुटाई गई। यह आंकड़ा 2024 की तुलना में लगभग 9.4 प्रतिशत अधिक है। बाजार के विशेषज्ञों का मानना है कि बड़े आकार के आईपीओ और बदले हुए फीस ढांचे ने इस वृद्धि को और मजबूती प्रदान की है।
बड़े आईपीओ का औसत आकार
पिछले एक दशक में मेनबोर्ड आईपीओ का औसत आकार तेजी से बढ़ा है। पहले औसतन 1,100 करोड़ रुपये के आसपास इश्यू आते थे, जबकि अब यह आंकड़ा लगभग 1,580 करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है। इस कारण से इन्वेस्टमेंट बैंकों की कमाई में भी कई गुना वृद्धि हुई है।
बड़े आईपीओ और उनकी फीस
इस वर्ष जिन प्रमुख आईपीओ ने बैंकरों की कमाई में योगदान दिया, उनमें एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स इंडिया का नाम सबसे ऊपर है। लगभग 11,600 करोड़ रुपये के इस इश्यू से बैंकों को लगभग 226 करोड़ रुपये की फीस प्राप्त हुई। इसके अलावा, हेक्सावेयर टेक्नोलॉजीज, आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल एएमसी, टाटा कैपिटल और ग्रो के पैरेंट ग्रुप बिलियनब्रेंस गैराज जैसे बड़े इश्यू भी चर्चा में रहे।
फीस की संरचना
वर्तमान आंकड़ों के अनुसार, मिड-साइज आईपीओ पर बैंकों को औसतन 2 से 2.5 प्रतिशत फीस मिल रही है, जबकि बड़े इश्यू में यह 1 से 1.75 प्रतिशत के बीच होती है। छोटे 200–300 करोड़ रुपये के इश्यू में फीस 3 से 3.5 प्रतिशत तक पहुंच जाती है। टेक स्टार्टअप्स के मामले में यह आंकड़ा और भी ऊंचा है।
भविष्य की संभावनाएं
विशेषज्ञों का मानना है कि 2026 में यह रफ्तार और तेज हो सकती है। अनुमान है कि अगले वर्ष 3.5 से 4 लाख करोड़ रुपये तक की फंडरेजिंग हो सकती है, जिससे निवेश बैंकों की कमाई नए रिकॉर्ड स्थापित कर सकती है। कुल मिलाकर, भारत का प्राइमरी मार्केट अब वैश्विक निवेशकों के लिए अधिक आकर्षक बनता जा रहा है और यह प्रवृत्ति आगे भी जारी रहने की उम्मीद है।
