पाकिस्तान की आर्थिक चुनौतियाँ: IMF पर निर्भरता बढ़ती जा रही है
पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति
पाकिस्तान पिछले कई वर्षों से लगातार आर्थिक संकटों का सामना कर रहा है, और इसकी निर्भरता अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के बेलआउट पैकेजों पर बढ़ती जा रही है। यह आश्चर्यजनक है कि पाकिस्तान ने IMF की शर्तों का उल्लंघन करने के बावजूद बार-बार ऋण प्राप्त किया है। अब, यह देश अपने 25वें IMF ऋण कार्यक्रम की ओर बढ़ रहा है।
नवीनतम वित्तीय सहायता
हाल ही में, पाकिस्तान को 7 अरब डॉलर का एक्सटेंडेड फंड फैसिलिटी (EFF) पैकेज 37 महीनों के लिए मिला है, जिसमें 1.4 अरब डॉलर का रेज़िलिएंस एंड सस्टेनेबिलिटी फंड (RSF) भी शामिल है। अक्टूबर में हुए स्टाफ-लेवल एग्रीमेंट के अनुसार, पाकिस्तान को EFF के तहत 1 अरब डॉलर और RSF के तहत 20 करोड़ डॉलर मिलेंगे। अब तक, इन दोनों योजनाओं के तहत कुल 3.3 अरब डॉलर का वितरण हो चुका है।
आर्थिक स्थिरता की चुनौतियाँ
एशियन लाइट में प्रकाशित एक लेख के अनुसार, यह वित्तीय सहायता अस्थायी राहत प्रदान करती है, लेकिन पाकिस्तान की बाहरी सहायता पर बढ़ती निर्भरता को भी उजागर करती है। IMF के कार्यक्रमों का उद्देश्य आर्थिक स्थिरता और अनुशासन लाना है, लेकिन पाकिस्तान दीर्घकालिक सुधार लागू करने में असफल रहा है।
राजकोषीय प्रबंधन की कमी
IMF का मुख्य कार्य घरेलू नीतियों का सूक्ष्म प्रबंधन नहीं, बल्कि राजकोषीय घाटा कम करना और राजस्व बढ़ाना है। इसके बावजूद, पाकिस्तान की सरकारें राजनीतिक रूप से सुविधाजनक निर्णय लेती रही हैं, जिससे आम जनता पर बोझ बढ़ता गया है। रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान में केवल 2 प्रतिशत लोग ही आयकर का भुगतान करते हैं, जो कर प्रणाली की गंभीर असमानता को दर्शाता है।
भ्रष्टाचार और जवाबदेही
नवंबर 2025 में जारी IMF की रिपोर्ट में पाकिस्तान में भ्रष्टाचार की समस्या को उजागर किया गया है। इसमें पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने के लिए 15-सूत्रीय सुधार एजेंडा लागू करने की मांग की गई थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान का बजट विश्वसनीय नहीं है और कई परियोजनाओं को स्वीकृति मिलने के बावजूद उन्हें पर्याप्त धन नहीं मिल पाता।
राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी
हालांकि IMF वित्तीय अनुशासन पर जोर देता है, असली समस्या पाकिस्तान के शासक वर्ग की राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी है। सरकारी संस्थानों के विलासितापूर्ण खर्च जारी हैं, और गरीब उपभोक्ताओं पर गैस के फिक्स्ड चार्ज का बोझ डाला जा रहा है।
ऊर्जा क्षेत्र में असमानता
ऊर्जा क्षेत्र में असमानता स्पष्ट है, जहां खपत आधारित बिलिंग के बजाय फिक्स्ड चार्ज लागू किए गए हैं। IMF लागत वसूली की बात करता है, लेकिन प्रगतिशील टैरिफ और लाइफलाइन स्लैब लागू करना पूरी तरह पाकिस्तान सरकार के हाथ में है।
सिफारिशों का धीमा कार्यान्वयन
IMF और पेरिस स्थित फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) ने डेटा आधारित सुरक्षा उपायों और भ्रष्टाचार-रोधी दिशानिर्देशों की आवश्यकता पर जोर दिया है, लेकिन इन सिफारिशों को लागू करने में प्रगति बेहद धीमी रही है।
