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भारत और न्यूजीलैंड के बीच मुक्त व्यापार संधि का ऐतिहासिक समझौता

भारत और न्यूजीलैंड के बीच एक दशक से लंबित मुक्त व्यापार संधि अब लागू हो गई है। इस समझौते से न्यूजीलैंड से आने वाले सामानों पर आयात शुल्क में कमी आएगी, जिससे भारतीय उपभोक्ताओं को सस्ते फल, शराब और डेयरी उत्पादों का लाभ मिलेगा। इस संधि की घोषणा न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री क्रिस्टोफर लक्सन ने की, और इसके तहत 95 प्रतिशत सामानों पर शुल्क या तो समाप्त कर दिया गया है या कम कर दिया गया है। जानें इस समझौते के पीछे की कहानी और इसके संभावित प्रभाव।
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भारत और न्यूजीलैंड के बीच मुक्त व्यापार संधि का ऐतिहासिक समझौता

मुक्त व्यापार संधि की घोषणा

नई दिल्ली। भारत और न्यूजीलैंड के बीच पिछले एक दशक से लंबित मुक्त व्यापार संधि (एफटीए) अब लागू हो गई है। इस संधि की घोषणा सोमवार को की गई, जिससे न्यूजीलैंड से भारत आने वाले सामानों की कीमतों में महत्वपूर्ण कमी आएगी, जिसका सीधा लाभ भारतीय उपभोक्ताओं को मिलेगा। न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री क्रिस्टोफर लक्सन ने इस संधि की जानकारी दी, जबकि वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने इसके विवरण साझा किए।


निर्यातकों के लिए नए अवसर

लक्सन ने बताया कि इस संधि के माध्यम से उनके निर्यातकों को दुनिया की सबसे बड़ी जनसंख्या वाले बाजार तक पहुंचने में आसानी होगी। इस समझौते के तहत न्यूजीलैंड से भारत आने वाले 95 प्रतिशत सामानों पर आयात शुल्क को या तो समाप्त कर दिया गया है या काफी कम कर दिया गया है। इनमें से आधे से अधिक उत्पाद पहले दिन से ही शुल्क मुक्त होंगे।


भारतीय ग्राहकों को लाभ

इसका मतलब है कि भारतीय ग्राहकों को पहले दिन से ही इसका लाभ मिलने लगेगा। न्यूजीलैंड से आने वाले ताजे फलों, विशेषकर कीवी और सेब पर अब काफी कम शुल्क लगेगा, जिससे उनकी कीमतों में गिरावट आएगी। इसके अलावा ऊन, लकड़ी और कुछ विशेष डेयरी उत्पाद भी सस्ते होंगे। न्यूजीलैंड सरकार के अनुसार, 50 प्रतिशत से अधिक सामानों पर समझौते के पहले दिन से ही कोई शुल्क नहीं लगेगा।


व्यापारिक वार्ता का इतिहास

भारत और न्यूजीलैंड के बीच यह मुक्त व्यापार संधि मंगलवार से लागू हो जाएगी, जिससे न्यूजीलैंड से आने वाले आधे से अधिक सामान बिना किसी शुल्क के भारतीय बाजार में उपलब्ध होंगे। इससे भारत के बाजार में विदेशी फल, शराब और कई डेयरी उत्पाद सस्ते होने की संभावना है। उल्लेखनीय है कि इस व्यापारिक समझौते पर बातचीत पिछले 10 वर्षों से रुकी हुई थी, लेकिन इस साल मार्च में फिर से चर्चा शुरू हुई और केवल नौ महीने में समझौता हो गया। भारत ने पिछले पांच वर्षों में कई देशों के साथ सात मुक्त व्यापार संधियों पर हस्ताक्षर किए हैं।