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अंतरराष्ट्रीय तेल कीमतों में गिरावट: भारत पर प्रभाव

इस सप्ताह अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट आई है, जिसका प्रभाव भारत में ईंधन कीमतों पर भी देखा जा रहा है। रूस-यूक्रेन संघर्ष और अमेरिकी तेल भंडार में वृद्धि जैसे कारक इस गिरावट के पीछे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि जब तक वैश्विक कीमतों में स्थायी कमी नहीं आती, तब तक भारत में कीमतें स्थिर रहेंगी। जानें इस विषय पर और क्या है स्थिति और आगे की संभावनाएं।
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अंतरराष्ट्रीय तेल कीमतों में गिरावट: भारत पर प्रभाव

कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट का रुख


इस सप्ताह अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में लगातार कमी देखी जा रही है। रूस-यूक्रेन संघर्ष के संभावित शांति वार्ता के संकेत, अमेरिका में तेल भंडार में वृद्धि और वैश्विक मांग में कमी जैसे कारक बाजार पर दबाव बना रहे हैं। निवेशक इन घटनाओं पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। इस बीच, ब्रेंट क्रूड और WTI में हल्की गिरावट के साथ व्यापार जारी है, जिससे तेल आयात करने वाले देशों में कीमतों पर चर्चा बढ़ गई है।


तेल की कीमतों में गिरावट का विवरण

बुधवार को ब्रेंट क्रूड की कीमत 13 सेंट घटकर 62.32 डॉलर प्रति बैरल हो गई, जबकि पिछले सत्र में यह 1.1 प्रतिशत गिर चुका था। अमेरिकी WTI क्रूड भी 12 सेंट की कमी के साथ 58.52 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया। यह लगातार दो दिनों की गिरावट बाजार में बढ़ती सतर्कता को दर्शाती है। विश्लेषकों का मानना है कि बाजार फिलहाल किसी ठोस संकेत की प्रतीक्षा कर रहा है, जिससे कीमतों की दिशा स्पष्ट हो सके।


रूस-अमेरिका वार्ता का परिणाम

रूस ने बताया कि अमेरिका और रूस के प्रतिनिधियों के बीच पांच घंटे की बैठक के बावजूद कोई शांति समझौता नहीं हो सका। इससे यह उम्मीदें कमजोर हुईं कि प्रतिबंधित रूसी कंपनियों जैसे रोसनेफ्ट या लुकोइल पर लगे प्रतिबंध जल्द हटेंगे। पुतिन ने यूरोपीय देशों पर वार्ता में बाधा डालने का आरोप लगाया, जिससे यह आशंका बढ़ गई है कि रूसी तेल की आपूर्ति अभी भी सीमित रह सकती है।


यूक्रेन के हमले और तेल भंडार

यूक्रेन द्वारा रूसी तेल ढांचे पर लगातार ड्रोन हमले हो रहे हैं, जिससे काला सागर क्षेत्र में आपूर्ति अस्थिर हो गई है। कैस्पियन पाइपलाइन कंसोर्टियम ने अपने तीसरे सिंगल-पॉइंट मूरिंग की मरम्मत समय से पहले पूरी करने का लक्ष्य रखा है, ताकि पहले हुए हमलों के बाद निर्यात क्षमता को जल्द बहाल किया जा सके। इन घटनाओं ने बाजार में भू-राजनीतिक चिंताओं को और बढ़ा दिया है।


अमेरिकी तेल भंडार में वृद्धि

अमेरिकी पेट्रोलियम संस्थान के अनुसार, 28 नवंबर को समाप्त सप्ताह में कच्चे तेल का भंडार 2.48 मिलियन बैरल बढ़ा। गैसोलीन और डिस्टिलेट भंडार में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई, जिसने कीमतों पर अतिरिक्त दबाव डाला। ऊर्जा सूचना प्रशासन जल्द ही आधिकारिक स्टॉकपाइल डेटा जारी करेगा, जिससे बाजार की स्थिति और स्पष्ट हो सकेगी।


भारत में ईंधन कीमतों की स्थिरता

हालांकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतें गिर रही हैं, भारत में पेट्रोल और डीजल के दाम स्थिर बने हुए हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि जब तक वैश्विक कीमतों में दीर्घकालिक गिरावट नहीं आती, तब तक घरेलू बाजार में बदलाव की संभावना कम है। वर्तमान में उपभोक्ताओं को निकट भविष्य में किसी बड़े उतार-चढ़ाव की चिंता करने की आवश्यकता नहीं है।