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अंबाला डिपो में चालक और परिचालकों की कमी से प्रभावित बस सेवाएं

अंबाला डिपो में चालक और परिचालकों की कमी ने बस सेवाओं को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। कई प्रमुख मार्गों पर बसों की संख्या में कमी आई है, जिससे यात्रियों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। डिपो में कर्मचारियों की कमी के कारण कई बसें खड़ी रहती हैं, और प्रमुख मार्गों पर फेरे भी कम हो गए हैं। जानें इस समस्या के पीछे के कारण और इसके समाधान के प्रयासों के बारे में।
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अंबाला डिपो में चालक और परिचालकों की कमी से प्रभावित बस सेवाएं

अंबाला डिपो की स्थिति

अंबाला: अंबाला डिपो में चालक और परिचालकों की कमी ने पंजाब, दिल्ली और हिमाचल प्रदेश के बीच कनेक्टिविटी को बाधित कर दिया है। स्टाफ की कमी के कारण दिल्ली-चंडीगढ़, दिल्ली-लुधियाना, दिल्ली-पटियाला, हिमाचल, नारायणगढ़ और यमुनानगर जैसे कई रूटों पर बसों की संख्या में कमी आई है।


हालांकि बेड़े में बसों की संख्या पर्याप्त है, लेकिन उन्हें चलाने के लिए चालक नहीं हैं। ऐसे में जिन रूटों पर पहले 10 बसें चलती थीं, अब केवल पांच ही चल रही हैं।


कई प्रमुख मार्ग पूरी तरह से बंद हो चुके हैं, जिससे रोडवेज की कई बसें डिपो में खड़ी रह जाती हैं। अंबाला डिपो में 187 रोडवेज बसें हैं, जिनमें से 20 किलोमीटर स्कीम के तहत हैं, जबकि 153 बसें ऑन रूट हैं। प्रतिदिन 40 बसें डिपो में खड़ी रहती हैं।


कम फेरे लगाने वाले मार्ग

कम फेरे लगा रही रोडवेज की बसें


– दिल्ली-चंडीगढ़ मार्ग पर पहले 12 बसें चलती थीं, अब केवल चार बसें संचालित हो रही हैं।


– दिल्ली-पटियाला मार्ग पर पहले आठ बसें चलती थीं, अब चार ही चल रही हैं।


– दिल्ली-लुधियाना मार्ग पर पहले 9 बसें थीं, अब केवल दो बसें चल रही हैं।


– हिमाचल के शिमला मार्ग पर पहले दो बसें चलती थीं, अब केवल एक ही चल रही है।


– अंबाला से चंडीगढ़ के लिए पहले 22 बसें चलती थीं, अब 15 चल रही हैं।


– अंबाला से यमुनानगर पहले 12 बसें चलती थीं, अब केवल चार ही चल रही हैं।


– जालंधर दिल्ली पर पहले तीन बसें थीं, अब एक ही चल रही है, और पटियाला दिल्ली पर पहले 12 बसें थीं, अब चार ही चल रही हैं।


स्टैंड इंचार्ज की कमी

अंबाला डिपो में स्टैंड इंचार्ज की कमी


अंबाला डिपो में दो यातायात प्रबंधकों की आवश्यकता है, जिनमें से एक अंबाला सिटी और दूसरा नारायणगढ़ सब डिपो में चाहिए। लेकिन अंबाला में कोई भी यातायात प्रबंधक नहीं है। अंबाला छावनी बस अड्डे पर करीब 15 स्टैंड इंचार्ज की आवश्यकता है, जबकि केवल दो ही ड्यूटी पर हैं।


अंबाला सिटी बस अड्डे पर छह स्टैंड इंचार्ज की आवश्यकता है, लेकिन केवल दो ही ड्यूटी पर हैं। बराड़ा बस अड्डे पर दो की आवश्यकता है, लेकिन केवल एक है। नारायणगढ़ और शहजादपुर बस अड्डे पर भी एक-एक स्टैंड इंचार्ज की कमी है।


डिपो में कुल 80 उप निरीक्षक और निरीक्षक के पद हैं, जिनमें से 25 भरे हुए हैं और 55 खाली हैं। हरियाणा में 2008 के बाद से कोई स्थायी भर्ती नहीं हुई है, जिसके कारण बसों का संचालन प्रभावित हो रहा है। हर महीने चार से पांच कर्मचारी सेवानिवृत्त हो रहे हैं।


अंबाला डिपो के महाप्रबंधक अश्वनी डोगरा ने बताया कि कर्मचारियों की कमी के कारण बसें विभिन्न रूटों पर कम फेरे लगा रही हैं। इस समस्या को हल करने के लिए मुख्यालय से पत्राचार किया गया है।


चालकों और परिचालकों की कमी

70 चालकों और 80 परिचालकों की कमी


डिपो में कुल 491 चालक-परिचालक हैं, लेकिन 150 की कमी है। वर्तमान में अंबाला डिपो में 233 चालक कार्यरत हैं, जबकि 70 की कमी है।


परिचालकों की संख्या 258 है, जिसमें 80 की कमी है। कुछ कर्मचारी अवकाश पर चले जाते हैं, जिससे स्टाफ की कमी और बढ़ जाती है।