अक्टूबर में भारतीय शेयर बाजार में एफपीआई की वापसी से सकारात्मक संकेत
अक्टूबर में भारतीय शेयर बाजार ने विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) की वापसी के साथ सकारात्मक संकेत दिखाए हैं। इस महीने एफपीआई ने लगभग 1.65 अरब डॉलर का शुद्ध निवेश किया है, जो कि तीन महीने की बिकवाली के बाद हुआ है। विशेषज्ञों का मानना है कि भारत की मजबूत अर्थव्यवस्था और कॉरपोरेट आय में सुधार ने इस निवेश को प्रोत्साहित किया है। हालांकि, अमेरिका द्वारा लगाए गए आयात शुल्क और वैश्विक आर्थिक परिस्थितियों पर भी नजर रखी जा रही है। जानें इस निवेश प्रवाह के पीछे के कारण और भविष्य की संभावनाएँ।
| Nov 2, 2025, 23:22 IST
भारतीय शेयर बाजार में एफपीआई का निवेश
अक्टूबर के महीने में भारतीय शेयर बाजार ने एक सकारात्मक मोड़ लिया है, क्योंकि विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने तीन महीने की निरंतर बिकवाली के बाद वापसी की है। हालिया आंकड़ों के अनुसार, इस महीने एफपीआई ने भारतीय शेयरों में लगभग 1.65 अरब डॉलर का शुद्ध निवेश किया है। इससे पहले, एफपीआई जून से सितंबर तक लगातार बिकवाली कर रहे थे।
निवेश के कारण
वर्तमान जानकारी के अनुसार, भारतीय बाजारों में वैल्यूएशन में सुधार, कॉरपोरेट आय में वृद्धि और मजबूत घरेलू अर्थव्यवस्था ने इस निवेश को प्रोत्साहित किया है। इक्विनॉमिक्स रिसर्च के संस्थापक जी. चोकालिंगम का मानना है कि हाल में जीएसटी दरों में कमी ने ग्रोथ को तेज़ी दी है, जिससे ऑटोमोबाइल सेक्टर में उल्लेखनीय उछाल देखने को मिला है। अक्टूबर में टाटा मोटर्स, महिंद्रा एंड महिंद्रा और ह्युंडई जैसी प्रमुख कंपनियों की बिक्री में सितंबर की तुलना में दोगुने से अधिक की वृद्धि हुई है।
आईएमएफ का जीडीपी अनुमान
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) द्वारा भारत की 2025-26 की जीडीपी अनुमान को 6.4% से बढ़ाकर 6.6% करने से भी निवेशकों का विश्वास मजबूत हुआ है। विश्लेषकों का मानना है कि यह सुधार कॉरपोरेट जगत की आय में आने वाले महीनों में स्पष्ट रूप से दिखाई देगा, और इसी कारण एफपीआई भारत की ओर आकर्षित हुए हैं।
अमेरिका के आयात शुल्क का प्रभाव
हालांकि, बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए गए 50% आयात शुल्क के मुद्दे पर भी ध्यान केंद्रित किया गया है। भारत और अमेरिका के बीच एक संभावित व्यापार समझौते की चर्चा चल रही है, जो इस तनाव को कम कर सकता है। लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के अप्रत्याशित फैसलों के इतिहास को देखते हुए अंतिम परिणाम के बारे में कुछ कहना मुश्किल है।
भविष्य की संभावनाएँ
कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि भले ही अमेरिका-चीन के बीच कोई व्यापार समझौता हो जाए, इससे भारत में एफपीआई प्रवाह पर कोई बड़ा असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि भारत अब भी मूल्यांकन और आय वृद्धि के मामले में एक आकर्षक उभरता बाजार बना हुआ है। डिजिटल, ऑटो और कैपिटल गुड्स क्षेत्र इस संदर्भ में प्रमुख माने जा रहे हैं।
निवेश प्रवाह का भविष्य
हालांकि, यह कहना जल्दबाजी होगी कि अक्टूबर में हुई एफपीआई खरीदारी नवंबर में भी जारी रहेगी या नहीं। निवेशक वर्तमान में वैश्विक परिस्थितियों, ब्याज दरों, मुद्रास्फीति और भारत से जुड़े नीतिगत फैसलों पर ध्यान दे रहे हैं। घरेलू स्तर पर आरबीआई के संभावित दर कटौती के संकेत, पीएलआई योजना, और सरकार के पूंजीगत निवेश प्रयास भी भविष्य के निवेश प्रवाह के लिए महत्वपूर्ण माने जा रहे हैं।
निष्कर्ष
कुल मिलाकर, अक्टूबर का यह निवेश बाजार में एक सकारात्मक भावना लेकर आया है, लेकिन इसका स्थायित्व आने वाले हफ्तों की आर्थिक और राजनीतिक गतिविधियों पर निर्भर करेगा।
