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अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के बीच 8.5 अरब डॉलर का व्यापार समझौता

अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया ने हाल ही में 8.5 अरब डॉलर के व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। यह समझौता दोनों देशों के बीच खनिज संसाधनों की पहुंच को बढ़ाने के लिए है, खासकर जब चीन ने अपने रेयर-अर्थ मिनरल्स के निर्यात पर सख्त नियंत्रण लगा रखा है। ट्रंप ने इसे अमेरिका-ऑस्ट्रेलिया संबंधों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम बताया है। जानें इस समझौते के पीछे के उद्देश्य और इसके संभावित प्रभाव।
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अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के बीच 8.5 अरब डॉलर का व्यापार समझौता

समझौते पर हस्ताक्षर


अमेरिकी राष्ट्रपति और ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री ने किया समझौता


अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने दूसरे कार्यकाल में अमेरिका की आर्थिक नीतियों में कई महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं। इनमें से एक प्रमुख निर्णय नई टैरिफ दरों का कार्यान्वयन है। ट्रंप ने कई देशों पर नई टैरिफ दरें लागू की हैं और साथ ही अमेरिका के हितों के लिए नए व्यापारिक समझौतों पर भी जोर दिया है। हाल ही में, उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के साथ 8.5 अरब डॉलर का एक नया व्यापार समझौता किया है।


व्हाइट हाउस में समझौते का आयोजन

व्हाइट हाउस में हुई एक द्विपक्षीय बैठक में, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीज ने महत्वपूर्ण खनिज समझौते पर हस्ताक्षर किए। इस समझौते के तहत, अमेरिका को ऑस्ट्रेलिया के दुर्लभ खनिज संसाधनों तक अधिक पहुंच प्राप्त होगी। यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब चीन ने अपने रेयर-अर्थ मिनरल्स के निर्यात पर सख्त नियंत्रण लगा रखा है, जिससे अमेरिका और चीन के बीच तनाव बढ़ने की संभावना है।


ट्रंप का बयान

समझौते के बाद, ट्रंप ने कहा कि अगले एक साल में अमेरिका के पास इतनी मात्रा में क्रिटिकल मिनरल्स होंगे कि उनकी प्रबंधन में कठिनाई होगी। उन्होंने यह भी बताया कि यह समझौता कई महीनों की बातचीत के बाद संभव हुआ है। प्रधानमंत्री अल्बानीज ने इसे अमेरिका-ऑस्ट्रेलिया संबंधों के लिए एक नई ऊंचाई बताया।


चीन के प्रभाव को सीमित करने का उद्देश्य

इस समझौते का एक प्रमुख उद्देश्य चीन के बढ़ते प्रभाव को सीमित करना है। हाल ही में, चीन की सरकार ने आदेश जारी किया है कि कोई भी विदेशी कंपनी चीन से निकाले गए या चीनी तकनीक से निर्मित रेयर-अर्थ मैटेरियल वाले मैग्नेट्स का निर्यात तभी कर सकेगी जब उसे सरकार की अनुमति प्राप्त हो। व्हाइट हाउस के आर्थिक परिषद के निदेशक केविन हैसेट ने कहा कि चीन इस नीति के माध्यम से वैश्विक तकनीकी आपूर्ति श्रृंखला को अपने नियंत्रण में लेना चाहता है।