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अमेरिका और चीन के बीच व्यापार समझौता: 55% टैरिफ का ऐलान

डोनाल्ड ट्रम्प ने चीन से आयातित वस्तुओं पर 55% टैरिफ लगाने का ऐलान किया है, जिससे अमेरिका को दुर्लभ खनिजों की सुरक्षा मिलेगी। इस समझौते के तहत, चीन अमेरिका को खनिज भेजेगा और बदले में चीनी छात्रों को अमेरिकी कॉलेजों में प्रवेश मिलेगा। हालांकि, कुछ रिपोर्टों में झिंजियांग में जबरन मजदूरी के मुद्दे का भी जिक्र किया गया है। जानें इस व्यापार समझौते के पीछे की पूरी कहानी और इसके संभावित प्रभाव।
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अमेरिका और चीन के बीच व्यापार समझौता: 55% टैरिफ का ऐलान

ट्रंप का नया व्यापार प्रस्ताव

नई दिल्ली - डोनाल्ड ट्रम्प ने चीनी उत्पादों पर टैरिफ को बढ़ाकर 55% करने का संकेत दिया है। उनका कहना है कि इस कदम से अमेरिका को चीन से दुर्लभ खनिजों की सुरक्षा मिलेगी। ट्रम्प ने स्पष्ट किया कि अमेरिका चीनी वस्तुओं पर 55 प्रतिशत टैरिफ लगाएगा, जबकि चीन अमेरिकी सामानों पर 10 प्रतिशत टैरिफ लागू करेगा। राष्ट्रपति ट्रम्प ने बताया कि लंदन में हुई बातचीत के बाद उनके प्रशासन ने चीन के साथ एक अस्थायी व्यापार समझौते पर सहमति बनाई है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर जानकारी साझा करते हुए कहा कि राष्ट्रपति XI और वे मिलकर चीन को अमेरिकी व्यापार के लिए खोलने का प्रयास करेंगे, जो दोनों देशों के लिए फायदेमंद साबित होगा।


ट्रम्प ने दोनों देशों के बीच संबंधों को 'उत्कृष्ट' बताते हुए कहा कि वे चीन को वह सब कुछ प्रदान करेंगे जिस पर सहमति बनी है, जिसमें चीनी छात्रों को अमेरिकी कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में प्रवेश देने की अनुमति भी शामिल है। पिछले महीने, अमेरिका और चीन के बीच टैरिफ दरों को लेकर बातचीत रुकी हुई थी, जब अमेरिका ने चीन से आयात पर टैरिफ को 145 प्रतिशत से घटाकर 30 प्रतिशत करने के लिए एक प्रारंभिक समझौते पर पहुंचा था। इस बीच, बीजिंग ने भी अमेरिकी वस्तुओं पर अपनी दर को 125 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत कर दिया है।


चीन महत्वपूर्ण खनिजों की आपूर्ति श्रृंखला में प्रमुख भूमिका निभाता है, जो दुनिया के रेअर अर्थ्स का लगभग 60% उत्पादन करता है और 90% प्रोसेसिंग करता है। इस समझौते के तहत, चीन अमेरिका को दुर्लभ खनिज भेजेगा, और अमेरिका चीनी छात्रों को कॉलेजों में प्रवेश देगा। हालांकि, कुछ रिपोर्टों में यह भी कहा गया है कि ये खनिज झिंजियांग में जबरन मजदूरी से आते हैं, जिसे चीन ने नकारा है। वॉलमार्ट, एवन, कोका-कोला और नेस्कैफे जैसे ब्रांड इस मुद्दे से जुड़े हो सकते हैं। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि झिंजियांग में 77 चीनी कंपनियां जबरन श्रम का उपयोग कर रही हैं, और उइगर तथा तुर्क लोगों को विशेष कार्य कार्यक्रमों में काम करने के लिए मजबूर किया जा रहा है।