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अमेरिका और पाकिस्तान के रिश्ते: एक रणनीतिक साझेदारी का विश्लेषण

इस लेख में अमेरिका और पाकिस्तान के बीच के रिश्तों का गहराई से विश्लेषण किया गया है। यह समझाया गया है कि कैसे अमेरिका की विदेश नीति पाकिस्तान के साथ उसके भू-राजनीतिक हितों पर आधारित है। लेख में यह भी बताया गया है कि कैसे पाकिस्तान अमेरिका के लिए एक रणनीतिक साझेदार बना हुआ है, और इसके पीछे के कारणों पर चर्चा की गई है। क्या अमेरिका की सहायता भारत के लिए चिंता का विषय है? जानने के लिए पूरा लेख पढ़ें।
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अमेरिका का पाकिस्तान के प्रति दृष्टिकोण

जब आम भारतीय यह सवाल करते हैं कि अमेरिका बार-बार पाकिस्तान का समर्थन क्यों करता है, तो यह केवल भारत-पाक संबंधों या कूटनीतिक संतुलन की बात नहीं है। यह वैश्विक महाशक्ति की प्राथमिकताओं और उसकी रणनीतिक सोच को समझने का प्रयास है। अमेरिका की विदेश नीति भावनाओं पर नहीं, बल्कि ठोस हितों पर आधारित होती है। यही कारण है कि वह अक्सर ऐसे देशों के साथ संबंध बनाता है जो उसके भू-राजनीतिक लक्ष्यों में सहायक हो सकते हैं, और पाकिस्तान उनमें से एक है।


पाकिस्तान और अमेरिका के बीच का रिश्ता पारंपरिक दोस्ती से अधिक है; यह दोनों के बीच एक 'कामकाजी संबंध' पर आधारित है। जब अमेरिका को अफगानिस्तान में सैन्य अभियान चलाने की आवश्यकता थी, तो उसे एक ऐसे देश की तलाश थी जो उसे लॉजिस्टिक सहायता प्रदान कर सके। पाकिस्तान ने इस भूमिका को बखूबी निभाया और इसके बदले में अरबों डॉलर की सहायता, सैन्य उपकरण और राजनीतिक समर्थन प्राप्त किया।


9/11 के बाद, पाकिस्तान अमेरिका का प्रवेश द्वार बन गया, और उसे समर्थन मिला न कि किसी साझा मूल्य के आधार पर, बल्कि रणनीतिक आवश्यकताओं के तहत।


हाल के वर्षों में, अमेरिका और पाकिस्तान के रिश्तों में कुछ बदलाव आया है। अब सैन्य सहायता की बजाय मानवीय और आर्थिक सहयोग पर जोर दिया जा रहा है। उदाहरण के लिए, 2022 में आई बाढ़ के दौरान अमेरिका ने पाकिस्तान को $100 मिलियन की मानवीय सहायता प्रदान की। इसके अलावा, F-16 विमानों की देखरेख के लिए भी लगभग $450 मिलियन का पैकेज दिया गया।


अमेरिका ने शिक्षा, ऊर्जा और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में भी बजट आवंटित किया है। कोविड-19 महामारी के दौरान, अमेरिका ने पाकिस्तान को लाखों वैक्सीन डोज़ भी भेजी थीं।


हालांकि पाकिस्तान में लोकतंत्र की स्थिति कितनी भी अस्थिर हो, अमेरिका का ध्यान वहां के परमाणु हथियारों की सुरक्षा और अपनी उपस्थिति बनाए रखने पर है। पाकिस्तान एक परमाणु संपन्न देश है, और यदि वहां अस्थिरता फैलती है, तो यह वैश्विक सुरक्षा के लिए खतरा बन सकता है। इसलिए अमेरिका के लिए यह आवश्यक है कि वहां की स्थिति नियंत्रण में रहे।


भारत के संदर्भ में, अमेरिका की सोच भिन्न है। भारत एक उभरती शक्ति है और अमेरिका का एक महत्वपूर्ण साझेदार है, लेकिन पाकिस्तान को दी जाने वाली सहायता भारत में कई बार सवाल उठाती है। अमेरिका की रणनीति यह नहीं है कि वह भारत के खिलाफ है, बल्कि वह पाकिस्तान को दक्षिण एशिया में अपनी रणनीतिक उपस्थिति का एक उपकरण मानता है।


दक्षिण एशिया केवल दो पड़ोसी देशों का क्षेत्र नहीं है, बल्कि यह वैश्विक शक्ति संतुलन का केंद्र है। पाकिस्तान की भौगोलिक स्थिति, उसकी सेना का राजनीतिक प्रभाव और खुफिया नेटवर्क उसे अमेरिका के लिए एक महत्वपूर्ण मोहरा बनाते हैं। यह भूमिका आज भी बनी हुई है, भले ही इसके स्वरूप में बदलाव आया हो।