Newzfatafatlogo

अमेरिका का रूस पर नया आर्थिक हमला: क्या भारत और चीन होंगे निशाने पर?

अमेरिका ने रूस के खिलाफ नए आर्थिक प्रतिबंधों की योजना बनाई है, जिसमें 500 प्रतिशत तक के टैरिफ लगाने की बात की जा रही है। राष्ट्रपति ट्रंप ने संकेत दिया है कि यह विधेयक उन देशों पर लागू होगा, जो रूस के साथ व्यापार करते हैं, जिसमें भारत और चीन शामिल हो सकते हैं। इस कदम का उद्देश्य रूस के युद्धकालीन आर्थिक स्रोतों को कमजोर करना है। क्या भारत इस दबाव का सामना कर पाएगा? जानें पूरी जानकारी इस लेख में।
 | 
अमेरिका का रूस पर नया आर्थिक हमला: क्या भारत और चीन होंगे निशाने पर?

अमेरिका की नई रणनीति


नई दिल्ली: अमेरिका ने रूस के आर्थिक संसाधनों को कमजोर करने के लिए अपनी कोशिशों को और तेज कर दिया है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने संकेत दिया है कि वह सीनेट में पेश होने वाले नए विधेयक का समर्थन करेंगे, जिसके तहत अमेरिका उन देशों पर 500 प्रतिशत तक के ऊंचे टैरिफ लगाने में सक्षम होगा, जो रूस के साथ बड़े पैमाने पर व्यापार करते हैं।


ट्रंप का सख्त रुख

फ्लोरिडा से वॉशिंगटन जाने से पहले ट्रंप ने पत्रकारों से कहा कि रिपब्लिकन नेता एक ऐसा कानून लाने की योजना बना रहे हैं, जो रूस के साथ व्यापार करने वाले देशों पर कड़े प्रतिबंध लगाएगा। यह प्रस्ताव सीनेटर लिंडसे ग्राहम द्वारा लंबे समय से आगे बढ़ाया जा रहा था, और यूक्रेन पर रूस के हमलों की बढ़ती तीव्रता ने इसे कांग्रेस में फिर से गति दी है। सीनेट के बहुमत नेता जॉन थून ने पहले ही संकेत दिया है कि वह इस बिल को वोटिंग के लिए ला सकते हैं, हालांकि इसके लिए कोई निश्चित समय नहीं दिया गया है।


कौन से देश होंगे प्रभावित?

एक रिपोर्ट के अनुसार, यह प्रस्तावित कानून राष्ट्रपति को उन देशों पर भारी शुल्क लगाने की अनुमति देगा, जो रूसी तेल या गैस खरीदते हैं और जिन्हें यूक्रेन का समर्थन न करने वाला माना जाता है। इसका सीधा असर चीन और भारत जैसे देशों पर पड़ सकता है, जो रूस के प्रमुख ऊर्जा खरीदार हैं। ट्रंप ने यह भी संकेत दिया कि इस सूची में ईरान को भी शामिल किया जा सकता है।


विधेयक को मिली गति

यह विधेयक उस समय आगे बढ़ रहा है जब रूस पूर्वी यूक्रेन के महत्वपूर्ण रेल जंक्शन पोक्रोवस्क पर कब्ज़ा करने के प्रयासों को तेज कर चुका है। दूसरी ओर, यूक्रेन रूस के तेल इंफ्रास्ट्रक्चर को निशाना बनाते हुए लंबी दूरी के हमले बढ़ा रहा है। कांग्रेस के कई डेमोक्रेट्स और रिपब्लिकन रूस पर और कठोर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। उनका आरोप है कि क्रेमलिन संघर्ष को रोकने के बजाय और खींच रहा है और किसी भी कूटनीतिक समाधान को गंभीरता से नहीं ले रहा।


भारत पर बढ़ता दबाव

भारत पहले से ही अमेरिकी टैरिफ़ बढ़ोतरी का सामना कर चुका है। अगस्त 2025 में ट्रंप ने एक आदेश पर हस्ताक्षर किए थे, जिसके तहत भारतीय निर्यात पर 25 प्रतिशत के मौजूदा शुल्क के साथ अतिरिक्त 25 प्रतिशत 'रूसी तेल अधिभार' लगाया गया था। इससे कुल शुल्क 50 प्रतिशत हो गया।


अमेरिका का कहना है कि यह कदम उन देशों को दंडित करने के लिए उठाया गया है, जो रूस के युद्ध को आर्थिक रूप से समर्थन दे रहे हैं। हालांकि इसके बाद भारत ने रूसी तेल की खरीद में कमी लाने के संकेत दिए हैं। अक्टूबर में ट्रंप ने कहा था कि भारत ने अपनी खरीद "काफी कम" कर दी है और इसके बाद अमेरिका टैरिफ में कटौती पर विचार कर सकता है।


वाशिंगटन का बदला रुख

लंबे विवाद और रुकी हुई बातचीत के बाद, अमेरिका ने भारत के साथ व्यापार पर एक व्यावहारिक तरीके से जुड़ने की इच्छा जताई है। इससे पहले दोनों देशों के बीच तीखी बयानबाजी देखी जा चुकी है, खासकर रूसी तेल पर भारत के रुख को लेकर।


प्रतिबंधों के बावजूद रूस की मजबूती

अमेरिका और यूरोप के कड़े प्रतिबंधों के बावजूद, रूस अपने सैन्य अभियान को जारी रखने में सक्षम है। पश्चिमी खुफिया एजेंसियों के अनुसार, एशियाई देशों के साथ बढ़ती ऊर्जा साझेदारी ने रूस को प्रतिबंधों से मिलने वाले झटके को काफी हद तक संभालने में मदद की है।