अमेरिका की नई टैरिफ नीति से प्रभावित होंगे चार प्रमुख क्षेत्र

अगस्त से व्यापार नियमों में बदलाव
अगस्त से अमेरिका के साथ व्यापार नियमों में बदलाव
बिजनेस न्यूज़ अपडेट: अप्रैल 2025 से भारत और अमेरिका के बीच टैरिफ युद्ध से बचने के लिए व्यापार वार्ता को एकमात्र विकल्प माना जा रहा था। जुलाई में अमेरिका ने 30 से अधिक देशों के खिलाफ नई टैरिफ दरों की घोषणा की, लेकिन भारत के खिलाफ कोई कदम नहीं उठाया गया। इस स्थिति में उम्मीद थी कि दोनों देशों के बीच व्यापार वार्ता सफल होगी, जिससे भारतीय कंपनियां अमेरिका की उच्च टैरिफ नीति से बच सकेंगी।
हालांकि, 30 जुलाई को अमेरिकी राष्ट्रपति ने भारत पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने की घोषणा की। अब, एक अगस्त से भारत और अमेरिका के बीच व्यापार के मायने बदल जाएंगे, और भारतीय कंपनियों को अमेरिका से व्यापार करने के लिए अधिक टैरिफ का सामना करना पड़ेगा। आइए जानते हैं कि भारत के किन चार व्यापार क्षेत्रों को इन टैरिफ का सबसे अधिक नुकसान होगा।
ऑटोमोबाइल उद्योग पर प्रभाव
भारत का ऑटोमोबाइल उद्योग अमेरिका को कुल निर्यात का लगभग 3% योगदान देता है। ट्रंप द्वारा लगाए गए नए टैरिफ से इस क्षेत्र को नुकसान होने की संभावना है। 25% का टैरिफ अमेरिकी बाजार में भारतीय ऑटोमोबाइल निर्यात की मांग और प्रतिस्पर्धा को प्रभावित करेगा, जिससे उत्पादन लागत में वृद्धि, संभावित छंटनी और आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान का खतरा बढ़ सकता है।
विनिर्माण और सामान्य निर्यात
भारत का व्यापक विनिर्माण क्षेत्र 25% टैरिफ के बोझ से प्रभावित होगा। बढ़ी हुई लागत अमेरिकी बाजार में भारत से निर्यात होने वाली वस्तुओं की प्रतिस्पर्धा को कमजोर कर सकती है, जिससे इन कंपनियों की वृद्धि धीमी हो सकती है। इसका जीडीपी पर 50 आधार अंकों तक का प्रभाव पड़ सकता है।
आईटी और सेवा क्षेत्र
अमेरिका का टैरिफ मुख्य रूप से भौतिक वस्तुओं पर केंद्रित है, जिससे भारत का आईटी और सेवा क्षेत्र काफी हद तक सुरक्षित रह सकता है। फिर भी, विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप प्रशासन का नया टैरिफ विवेकाधीन खपत को प्रभावित कर सकता है।
फार्मास्युटिकल्स सेक्टर
हालांकि भारत के फार्मास्यूटिकल्स सेक्टर को 25% टैरिफ से बाहर रखा गया है, लेकिन इस क्षेत्र में अनिश्चितता बनी हुई है। यह क्षेत्र अमेरिका को लगभग 12.2 अरब डॉलर का निर्यात करता है। प्रमुख भारतीय फार्मास्यूटिकल कंपनियों के लिए यह राहत की बात है, लेकिन विश्लेषक भविष्य में टैरिफ में बदलाव की संभावना को लेकर सतर्क हैं।