अमेरिका के 50% टैरिफ का भारत पर प्रभाव: वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट की टिप्पणी

ट्रंप टैरिफ और व्यापार संबंध
ट्रंप टैरिफ: अमेरिका ने भारतीय उत्पादों पर 50% टैरिफ लागू किया है, जिसके बाद अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने बुधवार को दोनों देशों के व्यापार संबंधों पर चर्चा की। उन्होंने इस रिश्ते को जटिल बताया, लेकिन यह भी कहा कि दोनों देश अंततः एकजुट होंगे। खासकर, रूस से तेल की खरीद पर ट्रंप द्वारा लगाए गए अतिरिक्त 25% शुल्क के बाद भारत पर कुल 50% टैरिफ लागू हो चुका है।
व्यापार समझौते की उम्मीद
स्कॉट बेसेंट ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि मई या जून तक भारत के साथ एक व्यापार समझौता हो जाएगा। उन्होंने यह भी बताया कि भारत की बातचीत में प्रदर्शनकारी भूमिका रही है, जो पहले की तुलना में अधिक सहयोगी नजर आ रही है। हालांकि, अब तक कोई ठोस समझौता नहीं हुआ है।
भारत और अमेरिका के रिश्तों की जटिलता
बेसेंट ने भारत और अमेरिका के रिश्तों को गहरा बताया
अमेरिकी वित्त मंत्री ने भारत और अमेरिका के रिश्तों को गहरा और जटिल बताया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप के बीच अच्छे संबंध हैं। इसके साथ ही, उन्होंने यह भी बताया कि अमेरिका भारत के साथ व्यापार में घाटे में है और भारत अमेरिकी उत्पादों पर अधिक टैरिफ लगाता है, जिससे व्यापार असंतुलित हो जाता है।
रुपये की स्थिति पर टिप्पणी
बेसेंट ने यह भी कहा कि भारत रुपये को वैश्विक आरक्षित मुद्रा बनाने की कोशिश नहीं करेगा। यह उन्होंने रुपये के मूल्य को लेकर उठाए गए सवालों का जवाब देते हुए कहा। उन्होंने चेतावनी दी कि रुपये की गिरावट अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारत की मुद्रा के लिए चिंता का विषय हो सकती है।
भारतीय रिफाइनरी उद्योग की स्थिति
इस बीच, भारतीय रिफाइनरी उद्योग ने रूस से सस्ते तेल की खरीद पर पश्चिमी देशों द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों की आलोचना की है। भारत की स्थिति स्पष्ट है कि उसे सर्वश्रेष्ठ सौदे की पेशकश करने वाले स्रोत से तेल खरीदने का अधिकार है।
अमेरिकी टैरिफ का निर्यात पर प्रभाव
भारतीय निर्यात पर अमेरिकी टैरिफ का असर
अमेरिकी टैरिफ का भारतीय निर्यात पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। वैश्विक व्यापार विश्लेषकों के अनुसार, इससे भारतीय निर्यात में भारी गिरावट आ सकती है, खासकर कपड़ा, रत्न और कृषि उत्पादों जैसे क्षेत्रों में।
भारत ने रूस से तेल खरीद को लेकर पश्चिमी देशों के दोहरे रवैये की आलोचना की है। मोदी सरकार ने स्पष्ट किया है कि वह किसानों, छोटे उद्योगों और घरेलू उत्पादकों के हितों से कोई समझौता नहीं करेगी।