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अमेरिका-चीन व्यापार वार में 90 दिन की मोहलत, संकट टला

अमेरिका और चीन के बीच व्यापार वार में एक महत्वपूर्ण मोड़ आया है, जब अमेरिकी राष्ट्रपति ने 90 दिनों की मोहलत देने का निर्णय लिया। यह कदम व्यापार जगत के लिए राहत का संकेत है, क्योंकि दोनों देशों के बीच अनिश्चितता बढ़ रही थी। इस निर्णय से कूटनीतिक बातचीत के नए अवसर खुल सकते हैं, और उम्मीद है कि वर्ष के अंत तक उच्चस्तरीय बैठक हो सकती है। हालांकि, विवाद अभी भी कायम हैं, जिसमें बौद्धिक संपदा अधिकारों और सब्सिडी जैसे मुद्दे शामिल हैं।
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अंतरराष्ट्रीय व्यापार में राहत

अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर एक और संकट टल गया है। अमेरिका और चीन के बीच चल रही व्यापारिक तनाव की स्थिति में अमेरिकी राष्ट्रपति ने 90 दिनों की मोहलत देने का निर्णय लिया है। यह जानकारी राष्ट्रपति ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर साझा की, जिसमें उन्होंने कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर करने की बात कही।


व्यापार जगत ने इस निर्णय का स्वागत किया है, क्योंकि यह उस समय आया है जब अमेरिका और चीन के कारोबारी माहौल में अनिश्चितता बढ़ रही थी। यदि समय पर राहत नहीं मिलती, तो अमेरिका द्वारा चीनी उत्पादों पर 30% शुल्क में वृद्धि हो सकती थी। इसके साथ ही, चीन भी अमेरिकी वस्तुओं पर कड़े जवाबी टैक्स लगा सकता था।


इस कदम से दोनों देशों को कूटनीतिक बातचीत का एक और अवसर मिला है। उम्मीद जताई जा रही है कि वर्ष के अंत तक अमेरिकी राष्ट्रपति और चीनी राष्ट्रपति के बीच एक उच्चस्तरीय बैठक हो सकती है।


अमेरिकी कंपनियों ने इस फैसले का स्वागत किया है, खासकर वे जो चीन में व्यापार कर रही हैं। अमेरिका-चीन बिजनेस काउंसिल के अध्यक्ष ने इसे आवश्यक बताया और कहा कि यह दोनों देशों को दीर्घकालिक व्यापारिक योजनाएं बनाने का अवसर देगा।


हालांकि, ट्रंप प्रशासन ने पिछले वर्षों में कई देशों पर भारी शुल्क लगाए हैं, जिससे वैश्विक व्यापार तंत्र प्रभावित हुआ है। येल विश्वविद्यालय के अनुसार, अमेरिका का औसत टैरिफ अब 18.6% हो चुका है, जो 1933 के बाद सबसे अधिक है।


चीन ने भी अमेरिका पर दबाव बनाने के लिए रेयर अर्थ मटीरियल की सप्लाई सीमित कर दी है। इससे अमेरिका को झुकाव दिखाना पड़ा। जून में हुई एक बैठक में अमेरिका ने तकनीकी उत्पादों पर निर्यात प्रतिबंधों को घटाने का वादा किया।


हालांकि, अमेरिका का आरोप है कि चीन बौद्धिक संपदा अधिकारों की सुरक्षा नहीं करता और अपने उद्योगों को भारी सब्सिडी देता है। पिछले वर्ष अमेरिका का चीन के साथ व्यापार घाटा 262 अरब डॉलर तक पहुंच गया था।