अमेरिका ने ईरान के चाबहार बंदरगाह पर नए प्रतिबंध लगाए

29 सितंबर से लागू होंगे नए प्रतिबंध, भारत को होगा अरबों का नुकसान
बिजनेस डेस्क : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने असामान्य निर्णयों से वैश्विक स्तर पर हलचल मचा दी है। हाल ही में अमेरिका ने ईरान के चाबहार बंदरगाह को विकसित करने की अनुमति देने वाली 2018 की छूट को वापस लेने की घोषणा की है। विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका ने इस कदम से एक साथ दो लक्ष्य साधे हैं: एक तो ईरान के प्रति अपनी कड़ी नीति को स्पष्ट किया है और दूसरी ओर भारत को आर्थिक रूप से नुकसान पहुंचाया है।
29 सितंबर से अमेरिकी ट्रेजरी चाबहार बंदरगाह के संचालन से जुड़े व्यक्तियों पर प्रतिबंध लागू करेगी। इसका मतलब है कि यदि कोई व्यक्ति या कंपनी इस बंदरगाह का संचालन करती है, तो उन पर अमेरिका में प्रतिबंध लग जाएगा। यह भारत के लिए एक गंभीर झटका माना जा रहा है, क्योंकि भारत ने इस बंदरगाह के विकास में अरबों रुपये का निवेश किया है। ऐसे में अमेरिकी प्रतिबंध से न केवल निवेश का नुकसान होगा, बल्कि भारत की रणनीतिक योजनाओं को भी प्रभावित करेगा।
चाबहार बंदरगाह का महत्व
चाबहार बंदरगाह दक्षिण-पूर्वी ईरान में ओमान की खाड़ी के किनारे स्थित है और यह ईरान का एकमात्र गहरे पानी का समुद्री बंदरगाह है। यह भारत, ईरान, अफगानिस्तान और मध्य एशियाई देशों के लिए व्यापार का एक महत्वपूर्ण केंद्र है। भारत इस बंदरगाह को अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे का हिस्सा मानता है, जो रूस और यूरोप को मध्य एशिया के माध्यम से जोड़ने का एक महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट है। चाबहार बंदरगाह पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह के निकट है, जिससे यह भारत के लिए रणनीतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण बन जाता है।
अमेरिकी विदेश मंत्रालय का बयान
अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी करते हुए कहा है कि राष्ट्रपति ट्रंप की अधिकतम दबाव नीति के तहत ईरानी शासन को अलग-थलग करने के लिए, विदेश मंत्री ने अफगानिस्तान पुनर्निर्माण सहायता और आर्थिक विकास के लिए 2018 में जारी प्रतिबंध छूट को रद्द कर दिया है। यह प्रतिबंध 29 सितंबर, 2025 से प्रभावी होगा। इस प्रतिबंध के लागू होने के बाद, चाबहार बंदरगाह का संचालन करने वाले व्यक्तियों पर प्रतिबंध लग सकता है।