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अमेरिकी टैरिफ का भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव: विशेषज्ञों की राय

अमेरिकी टैरिफ का भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव एक महत्वपूर्ण विषय बन गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह एक अल्पकालिक चुनौती है, जबकि भारत की मजबूत घरेलू खपत और विदेशी मुद्रा भंडार इसे संभालने में मदद कर सकते हैं। जानें जीडीपी दर के संभावित आंकड़े और वार्षिक ग्रोथ के अनुमान के बारे में।
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अमेरिकी टैरिफ का भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव: विशेषज्ञों की राय

भारतीय अर्थव्यवस्था की ताकत


भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती का आधार


वर्तमान में, भारतीय अर्थव्यवस्था को अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ दरों से गंभीर चिंता का सामना करना पड़ रहा है। अमेरिका ने 7 अगस्त से भारत पर 25 प्रतिशत टैरिफ लागू किया है, जबकि अगले 25 प्रतिशत टैरिफ 28 अगस्त से लागू होंगे। हालांकि, प्रमुख रेटिंग एजेंसियों जैसे मूडीज, एसएंडपी और फिच ने इन टैरिफ को भारत के लिए एक अल्पकालिक चुनौती माना है।


विशेषज्ञों का मानना है कि भारत की मजबूत घरेलू खपत, 650 अरब डॉलर से अधिक का विदेशी मुद्रा भंडार और निर्यात विविधीकरण की क्षमता इसे इन चुनौतियों से उबार सकती है। अमेरिकी टैरिफ का सबसे अधिक प्रभाव एल्युमिनियम, स्टील, टेक्सटाइल और वाहन उपकरण क्षेत्रों पर पड़ेगा, जो अमेरिकी बाजार पर अधिक निर्भर हैं। हालांकि, फार्मा उद्योग सुरक्षित है और आईटी क्षेत्र भी प्रत्यक्ष टैरिफ से प्रभावित नहीं होगा। लेकिन, अमेरिकी वीजा नीति और आउटसोर्सिंग नियमों में सख्ती से आईटी कंपनियों की अमेरिकी बाजार में हिस्सेदारी पर असर पड़ सकता है।


भारत की जीडीपी दर का अनुमान

जीडीपी दर में संभावित वृद्धि


विशेषज्ञों का मानना है कि इस वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी दर 7 प्रतिशत तक बढ़ सकती है। हालांकि, सभी की नजर 29 अगस्त को आरबीआई द्वारा जारी आंकड़ों पर है। अनुमान है कि पहली तिमाही में सकल मूल्य वर्धन (जीवीए) 6.5 प्रतिशत रहेगा, जो पिछले तिमाहियों के आंकड़ों पर आधारित है।


वार्षिक ग्रोथ का अनुमान

6.3 प्रतिशत की वार्षिक ग्रोथ की उम्मीद


हालांकि, पहली तिमाही के आंकड़े सकारात्मक हैं, वार्षिक ग्रोथ में कमी आ सकती है और यह 6.3 प्रतिशत तक सीमित रह सकती है। यह आरबीआई के पूरे वित्त वर्ष के 6.5 प्रतिशत के लक्ष्य से कम है। 2022-23 की पहली तिमाही में यह अंतर 12 प्रतिशत अंक था, जो 2024-25 की चौथी तिमाही में 3.4 प्रतिशत अंक रह गया। इसके परिणामस्वरूप, पहली तिमाही में नॉमिनल जीडीपी 8 प्रतिशत तक गिर सकती है।