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अमेरिकी टैरिफ के प्रभाव से भारतीय शेयर बाजार में विदेशी निवेशकों की बड़ी बिकवाली

अगस्त में भारतीय शेयर बाजार से विदेशी निवेशकों ने 35 हजार करोड़ रुपए की निकासी की, जो इस साल की सबसे बड़ी बिकवाली है। अमेरिकी टैरिफ के कारण भारतीय उद्योग पर पड़ने वाले प्रभाव और विशेषज्ञों की राय के साथ-साथ भारत की नई बाजारों की खोज के बारे में जानें। क्या भारत अमेरिका के दबाव में झुकेगा? जानने के लिए पूरा लेख पढ़ें।
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अमेरिकी टैरिफ के प्रभाव से भारतीय शेयर बाजार में विदेशी निवेशकों की बड़ी बिकवाली

अगस्त में शेयर बाजार से 35 हजार करोड़ रुपए की निकासी


अगस्त में शेयर बाजार से 35 हजार करोड़ रुपए निकाले, इस साल की सबसे बड़ी निकासी


Business News Update, बिजनेस डेस्क : अमेरिका द्वारा भारतीय वस्तुओं पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाने का सीधा असर भारतीय शेयर बाजार में विदेशी निवेश पर पड़ा है। इसी कारण, विदेशी निवेशकों ने अगस्त में इस साल की सबसे बड़ी बिकवाली करते हुए लगभग 35 हजार करोड़ रुपए (लगभग 4 बिलियन डॉलर) निकाल लिए। यह पिछले छह महीनों में सबसे बड़ी बिकवाली है, जबकि इससे पहले फरवरी में 34,574 करोड़ की बिकवाली हुई थी.


विशेषज्ञों की राय

बाजार के विशेषज्ञों का मानना है कि एफपीआई की इस बड़ी निकासी का कारण अमेरिका द्वारा भारतीय एक्सपोर्ट पर लगाए गए भारी टैरिफ और भारत में शेयरों की ऊंची कीमतें हैं। जुलाई में एफपीआई ने 17,741 करोड़ रुपए निकाले थे, जबकि अगस्त की बिकवाली उससे लगभग दोगुनी रही। डिपॉजिटरी डेटा के अनुसार, 2025 में अब तक विदेशी निवेशकों ने शेयर बाजार से कुल 1.3 लाख करोड़ रुपए निकाल लिए हैं।


भारत का दबाव में झुकने से इंकार

अमेरिका ने 27 अगस्त से भारत पर 50 प्रतिशत का टैरिफ लागू किया है, जिससे भारत के कपड़ा उद्योग पर सबसे अधिक प्रभाव पड़ सकता है। हालांकि, भारत ने दबाव में झुकने के बजाय नए बाजारों की तलाश शुरू कर दी है ताकि अमेरिका को उचित जवाब दिया जा सके। इस संदर्भ में, भारत-ब्रिटेन फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (एफटीए) के कारण ब्रिटेन को एक्सपोर्ट में बढ़ोतरी से इस नुकसान की भरपाई हो सकती है।


यूरोपीय संघ के साथ महत्वपूर्ण समझौता

रिपोर्ट के अनुसार, यूरोपीय संघ (ईयू) के साथ चल रही एफटीए की बातचीत भारतीय टेक्सटाइल व्यापार के लिए नए अवसर खोल सकती है। भारत-यूके एफटीए को विशेष रूप से रेडीमेड गारमेंट्स और होम टेक्सटाइल सेक्टर के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है। यह भारत को ब्रिटेन के 23 बिलियन डॉलर के इंपोर्ट मार्केट में बांग्लादेश और वियतनाम जैसे देशों के बराबर अवसर प्रदान करेगा। अमेरिकी टैरिफ के कारण भारत के टेक्सटाइल एक्सपोर्ट में 2026 में 9-10% की कमी आ सकती है, जिससे भारतीय रेडीमेड और होम टेक्सटाइल एक्सपोर्टर्स के मुनाफे में 3% से 5% की गिरावट हो सकती है।