अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरों में की कटौती: क्या होगा इसका असर?

US Fed Rate Cut: अमेरिकी फेडरल रिजर्व का निर्णय
US Fed Rate Cut: अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने बुधवार को ब्याज दरों में 25 बेसिस पॉइंट यानी 0.25% की कमी की है। इस निर्णय के बाद अब पॉलिसी रेट 4 से 4.25 फीसदी के बीच हो गया है, जबकि पहले यह 4.25 से 4.50 फीसदी के दायरे में था। यह इस वर्ष की पहली दर कटौती है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने लगातार फेड पर ब्याज दरों में कमी लाने का दबाव बनाया था।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस कदम का प्रभाव न केवल अमेरिका पर, बल्कि एशियाई बाजारों और भारतीय शेयर बाजारों पर भी पड़ सकता है। अमेरिकी फेड का यह निर्णय ट्रंप प्रशासन के टैरिफ और बढ़ती महंगाई के बीच आया है, जिससे आर्थिक गतिविधियों में सुस्ती और रोजगार की धीमी गति को भी ध्यान में रखा गया है।
अमेरिका ने क्यों लिया रेट कट का फैसला?
दो दिन चली फेडरल रिजर्व की बैठक US Fed चेयरमैन जेरोम पॉवेल की अध्यक्षता में हुई। बैठक में यह निर्णय लिया गया कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था में आर्थिक गतिविधियां सुस्त हैं और रोजगार की वृद्धि धीमी हो रही है। फेड ने कहा कि महंगाई में कुछ वृद्धि हुई है और यह ऊंची बनी हुई है। इसके साथ ही, फेड ने संकेत दिए हैं कि साल के अंत तक पॉलिसी रेट में और कटौती की संभावना भी बनी हुई है।
फेड गवर्नर स्टीफन मिरान 50 बेसिस पॉइंट की कटौती के पक्ष में थे, लेकिन चेयरमैन जेरोम पॉवेल ने 25 बीपीएस की कटौती का निर्णय लेते हुए कहा कि मौद्रिक फैसले आने वाले आर्थिक आंकड़ों और परिस्थितियों के आधार पर लिए जाएंगे।
अमेरिकी शेयर बाजारों पर दिखा असर
रेट कट के निर्णय के बाद अमेरिकी शेयर बाजारों में तेजी आई। डाउ फ्यूचर 125.30 अंक बढ़कर 46,143.60 पर बंद हुआ, डाउ जोंस 260.42 अंक की वृद्धि के साथ 46,039.33 पर बंद हुआ, और एसएंडपी 28 अंक बढ़कर 6,698.75 पर पहुंचा। एशियाई बाजारों में भी गुरुवार को तेजी का माहौल रहा। निफ्टी, निक्केई और कोस्पी जैसे प्रमुख बाजारों में उछाल देखा गया।
भारतीय बाजारों पर असर
अमेरिका में होने वाली किसी भी वित्तीय हलचल का प्रभाव भारतीय शेयर बाजारों पर तुरंत दिखाई देता है। US Fed के रेट कट और आगे भी कटौती की उम्मीद के चलते गुरुवार को भारतीय शेयर बाजारों में तेजी देखने को मिल सकती है। विशेषज्ञों का कहना है कि निवेशक इस मौके का लाभ उठाकर शेयर मार्केट में निवेश कर सकते हैं, लेकिन आर्थिक संकेतकों पर नजर बनाए रखना आवश्यक होगा।