अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प का सेमीकंडक्टर आयात पर टैरिफ लगाने का प्रस्ताव

सेमीकंडक्टर आयात पर टैरिफ की घोषणा
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण घोषणा की है, जिसमें उन्होंने बताया कि उनका प्रशासन अगले सप्ताह या उसके बाद सेमीकंडक्टर चिप्स के आयात पर टैरिफ लागू कर सकता है। यह घोषणा ऐसे समय में आई है जब दक्षिण कोरिया की प्रमुख तकनीकी कंपनियां, जैसे सैमसंग इलेक्ट्रॉनिक्स और एसके हाइनिक्स, ट्रम्प की टैरिफ नीतियों पर ध्यान दे रही हैं।ट्रम्प ने संकेत दिया है कि चिप्स पर लगभग 100% का टैरिफ लगाया जा सकता है, जिसका उद्देश्य अमेरिका में सेमीकंडक्टर उत्पादन को बढ़ावा देना है। उन्होंने बताया कि प्रारंभ में टैरिफ दर को कम रखा जाएगा ताकि कंपनियों को अमेरिका में निर्माण इकाइयां स्थापित करने का मौका मिल सके। लेकिन, यदि कंपनियां अमेरिका में उत्पादन नहीं करती हैं, तो एक निश्चित समय के बाद टैरिफ दर "बहुत अधिक" बढ़ाई जा सकती है। रिपोर्टों के अनुसार, यह दर 200% से 300% तक जा सकती है।
इस टैरिफ को लागू करने के लिए, ट्रम्प प्रशासन व्यापार विस्तार अधिनियम, 1962 की धारा 232 का उपयोग कर रहा है। यह कानून राष्ट्रपति को यह अधिकार देता है कि यदि उन्हें लगता है कि आयात राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है, तो वे आयात को नियंत्रित करने के लिए कदम उठा सकते हैं। अमेरिका के वाणिज्य विभाग द्वारा सेमीकंडक्टर आयात के राष्ट्रीय सुरक्षा पर प्रभाव का आकलन करने के लिए एक जांच पहले से ही चल रही है।
दक्षिण कोरियाई कंपनियों, जैसे सैमसंग और एसके हाइनिक्स, जो वैश्विक सेमीकंडक्टर बाजार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, इस घोषणा से चिंतित हैं। ये कंपनियां अमेरिकी तकनीकी कंपनियों को मेमोरी चिप्स की आपूर्ति करती हैं, और यदि उन पर भारी टैरिफ लगाया जाता है, तो इससे उनकी लागत बढ़ सकती है और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला प्रभावित हो सकती है। हालांकि, कुछ रिपोर्टों से पता चलता है कि जो कंपनियां अमेरिका में निर्माण इकाइयां स्थापित करने का वादा करेंगी, उन्हें इस टैरिफ से छूट मिल सकती है।
ट्रम्प का यह बयान उस समय आया है जब वे अलास्का में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मिलने जा रहे हैं। यह मुलाकात यूक्रेन में युद्ध को समाप्त करने के प्रयासों के संदर्भ में महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
यदि यह टैरिफ लागू होता है, तो इसका प्रभाव न केवल सेमीकंडक्टर निर्माताओं पर पड़ेगा, बल्कि इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटोमोबाइल और अन्य उपभोक्ता उत्पादों की कीमतों पर भी इसका असर दिख सकता है। इस कदम का उद्देश्य अमेरिका में सेमीकंडक्टर उत्पादन को बढ़ाना है, लेकिन इसके वैश्विक व्यापार संबंधों पर दूरगामी प्रभाव पड़ सकते हैं।