आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति का महत्वपूर्ण निर्णय आज

आरबीआई की बैठक का महत्व
आरबीआई MPC निर्णय आज: भारत में इस वर्ष सहायक राजकोषीय उपायों की श्रृंखला देखी गई है, जिसमें आयकर स्लैब में संशोधन और जीएसटी में कमी शामिल है, जिससे त्योहारी सीजन में खपत को बढ़ावा मिलने की संभावना है। भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी), जिसका नेतृत्व गवर्नर संजय मल्होत्रा कर रहे हैं, आज रेपो दर पर अपने निर्णय की घोषणा करेगी।
बाजार की निगाहें
बाजार इस बात की उत्सुकता से प्रतीक्षा कर रहा है कि क्या केंद्रीय बैंक ब्याज दर में और कटौती करेगा या इसे स्थिर रखेगा। यह निर्णय मुद्रास्फीति के रुझानों, वैश्विक अनिश्चितताओं और हाल ही में किए गए राजकोषीय सुधारों जैसे आयकर स्लैब में बदलाव और जीएसटी को युक्तिसंगत बनाने पर आधारित होगा।
अर्थशास्त्रियों की राय
ब्लूमबर्ग के एक सर्वेक्षण के अनुसार, 38 में से 24 अर्थशास्त्रियों का मानना है कि आरबीआई रेपो दर को 5.5% पर बनाए रखेगा, जबकि 14 का मानना है कि इसमें 25 आधार अंकों की कटौती की संभावना है।
मुद्रास्फीति और विकास
वर्तमान में, मुद्रास्फीति आरबीआई के 2%-6% के लक्ष्य बैंड के निचले स्तर पर है, जिससे केंद्रीय बैंक को कुछ कदम उठाने की गुंजाइश मिल रही है। हालांकि, उच्च अमेरिकी टैरिफ, मुद्रा की कमजोरी और बाहरी अनिश्चितताओं के कारण विकास जोखिम बना हुआ है।
विशेषज्ञों की भविष्यवाणियाँ
एक्यूट रेटिंग्स एंड रिसर्च के एमडी और सीईओ शंकर चक्रवर्ती ने कहा, "आरबीआई की आगामी बैठक में रेपो दर को 5.5% पर बनाए रखने की उम्मीद है। इस साल की शुरुआत में 100 आधार अंकों की कटौती के बाद यह लगातार दूसरी बार होगा।" उन्होंने यह भी बताया कि जीएसटी को युक्तिसंगत बनाने से मुद्रास्फीति में 25-75 आधार अंकों की कमी आ सकती है।
बाहरी कारकों का प्रभाव
इस वर्ष भारत में आयकर स्लैब में बदलाव और जीएसटी में कटौती जैसे कई सहायक राजकोषीय उपायों की उम्मीद है, जिससे त्योहारी सीजन में खपत बढ़ने की संभावना है। हालांकि, अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा भारतीय निर्यात पर 50% टैरिफ लगाने के निर्णय और रुपये के अवमूल्यन से व्यापार और पूंजी प्रवाह पर दबाव बढ़ रहा है।
निष्कर्ष
आरबीआई ने पहले ही इस वर्ष 100 आधार अंकों की कटौती की है, लेकिन अगस्त में इसे स्थगित कर दिया था। मुद्रास्फीति के रुझान नरमी की गुंजाइश देते हैं, लेकिन मजबूत जीडीपी आंकड़े और वैश्विक व्यापार विवादों की अनिश्चितता आज के निर्णय को और जटिल बना देती है। केंद्रीय बैंक शायद नीतिगत दरों को स्थिर रखना और नरम रुख अपनाना पसंद करेगा, ताकि अगर हालात बिगड़ते हैं तो इस साल के अंत में कटौती का रास्ता खुला रहे।