आरबीआई की रेपो दर में कटौती की संभावना, उपभोक्ताओं को मिलेगी राहत
रेपो दर में संभावित कटौती
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने पहले भी उपभोक्ताओं को राहत देने के लिए ब्याज दरों में कटौती की थी, जिससे आम आदमी की वित्तीय स्थिति पर थोड़ा दबाव कम हुआ था। हाल ही में वित्त मंत्रालय ने जानकारी दी है कि आरबीआई के पास रेपो रेट में और कटौती करने का अवसर है। इसका मुख्य कारण यह है कि खुदरा मुद्रास्फीति 4 प्रतिशत के औसत लक्ष्य से काफी कम है। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) पर आधारित खुदरा मुद्रास्फीति फरवरी से 4 प्रतिशत से नीचे बनी हुई है और मई में यह 6 साल के निचले स्तर 2.82 प्रतिशत पर पहुंच गई थी।वित्त मंत्रालय की मासिक समीक्षा रिपोर्ट में बताया गया है कि मुख्य मुद्रास्फीति की दर अभी भी कम है और समग्र मुद्रास्फीति आरबीआई के 4 प्रतिशत के औसत लक्ष्य से काफी नीचे है। इससे यह संकेत मिलता है कि रेपो रेट में और कटौती की संभावना है। यदि रेपो रेट कम होता है, तो होम लोन और कार लोन जैसे सभी प्रकार के लोन सस्ते हो जाएंगे, जिससे आम आदमी की मासिक ईएमआई में भी कमी आएगी।
इस वर्ष आरबीआई ने फरवरी से जून के बीच रेपो दर में कुल 1 प्रतिशत की कटौती की है। आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की अगली बैठक 4 से 6 अगस्त तक आयोजित होगी। आरबीआई ने वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में मुख्य मुद्रास्फीति दर 3.4 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है, जबकि पहली तिमाही में वास्तविक मुद्रास्फीति आरबीआई के लक्ष्य से कम रही। सरकार ने आरबीआई को खुदरा मुद्रास्फीति को 4 प्रतिशत पर बनाए रखने की जिम्मेदारी सौंपी है।