आरबीआई की रेपो रेट में कटौती: ग्राहकों के लिए क्या है इसका महत्व?
जून 2025 में भारतीय रिजर्व बैंक ने रेपो रेट को 6.00% से घटाकर 5.50% कर दिया है, जिससे बैंकों की ऋण दरों में कमी आई है। प्रमुख बैंकों ने 0.50% तक की कटौती की है। यह बदलाव ग्राहकों के लिए होम और ऑटो लोन को सस्ता बना सकता है। जानें इस निर्णय का अर्थ और आपकी जेब पर इसका प्रभाव क्या होगा।
Jun 15, 2025, 15:47 IST
| आरबीआई की मौद्रिक नीति में बदलाव
जून 2025 में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक ने आम जनता को राहत प्रदान की है। लगातार तीसरी बार रेपो रेट में कमी करते हुए, आरबीआई ने इसे 6.00% से घटाकर 5.50% कर दिया है। इसका सीधा प्रभाव बैंकों की ऋण दरों पर पड़ा है, और इस बार यह बदलाव महत्वपूर्ण है। प्रमुख सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों जैसे कि केनरा बैंक, पीएनबी, बैंक ऑफ इंडिया और बैंक ऑफ बड़ौदा ने रेपो लिंक्ड लेंडिंग रेट (आरएलएलआर) में 0.50% तक की कमी की है। अब सवाल यह है कि आम ग्राहकों के लिए इसका क्या अर्थ है? क्या होम और ऑटो लोन अब वास्तव में सस्ते हो गए हैं? और यह बदलाव आपकी जेब पर किस तरह असर डालेगा? आइए इस पूरे घटनाक्रम को सरल भाषा में समझते हैं।आरबीआई की रेपो रेट में कटौती का अर्थ क्या है? सबसे पहले, यह जानना आवश्यक है कि रेपो रेट क्या होती है। रेपो रेट वह दर है जिस पर आरबीआई बैंकों को अल्पकालिक ऋण प्रदान करता है। जब आरबीआई रेपो रेट को घटाता है, तो बैंकों को सस्ते में धन मिलता है, और इसके परिणामस्वरूप वे ग्राहकों को भी कम ब्याज दर पर ऋण देने लगते हैं। जून 2025 की बैठक में आरबीआई ने रेपो रेट को 0.50% घटाकर 5.50% कर दिया है। यह लगातार तीसरी बार है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि आरबीआई अब मांग को बढ़ावा देने और आर्थिक गतिविधियों को गति देने के लिए तत्पर है।