आरबीआई ने रेपो रेट को स्थिर रखा, ईएमआई में कमी का इंतजार जारी

आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति की बैठक का परिणाम
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक 29 सितंबर को शुरू हुई थी, जिसका परिणाम आज, एक अक्टूबर को घोषित किया गया। आरबीआई के गवर्नर संजय मलहोत्रा ने बताया कि सर्वसम्मति से रेपो रेट को 5.5 प्रतिशत पर बनाए रखा गया है। इसका मतलब है कि उपभोक्ताओं को सस्ते लोन के लिए ईएमआई में कमी का इंतजार करना होगा।
लिक्विडिटी और दरों की स्थिति
लिक्विडिटी एडजस्टमेंट फैसिलिटी (एलएएफ) के अंतर्गत स्टैंडिंग डिपॉजिट फैसिलिटी (एसडीएफ) की दर 5.25 प्रतिशत पर स्थिर रही है, जबकि मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी (एमएसएफ) और बैंक दर 5.75 प्रतिशत पर बनी हुई है। गवर्नर मलहोत्रा ने कहा, "अगस्त की मौद्रिक नीति के बाद से विकास और मुद्रास्फीति की स्थिति में बदलाव आया है। जीएसटी में सुधार से मुद्रास्फीति पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।"
मुद्रास्फीति की स्थिति
गवर्नर ने यह भी बताया कि हाल के महीनों में मुद्रास्फीति की स्थिति कमजोर हुई है। मुख्य मुद्रास्फीति दर जून में 3.7% से घटकर अगस्त में 3.1% और हाल ही में 2.6% पर आ गई है। आरबीआई ने 2025-2026 के लिए मुद्रास्फीति के पूर्वानुमान को 3.1% से घटाकर 2.6% कर दिया है। अगले साल की पहली तिमाही के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) मुद्रास्फीति 4.5% रहने का अनुमान है।
जीडीपी ग्रोथ का अनुमान
आरबीआई गवर्नर ने बताया कि इस साल वास्तविक जीडीपी ग्रोथ का अनुमान 6.5% से बढ़ाकर 6.8% कर दिया गया है, जो मजबूत आर्थिक प्रदर्शन को दर्शाता है। अधिकांश अर्थशास्त्री मानते थे कि आरबीआई इस बार रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं करेगा और इसे 5.50% पर बनाए रखेगा।
कटौती न होने के कारण
मजबूत आर्थिक विकास: देश की जीडीपी ग्रोथ पहली तिमाही में 7.8% रही, जो अपेक्षा से बेहतर है। ऐसे में दरों में तत्काल कटौती की आवश्यकता नहीं है।
अनिश्चित वैश्विक हालात: भारत पर टैरिफ और H-1B वीजा फीस में वृद्धि जैसी अनिश्चितताओं का आकलन करने के लिए आरबीआई सतर्क रह सकता है।
मुद्रास्फीति में हालिया उछाल: अगस्त 2025 में महंगाई दर 2.07% हो गई, जो आरबीआई के 4% लक्ष्य से नीचे है, लेकिन पिछले दस महीनों में पहली बार बढ़ी है। ऐसे में केंद्रीय बैंक सतर्कता बरत सकता है।