आरबीआई ने रेपो रेट में की कटौती: क्या होगा आपके लोन पर असर?
रेपो रेट में कमी का महत्व
नई दिल्ली : भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने हाल ही में अपनी मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक में रेपो रेट को 25 बेसिस पॉइंट घटाकर 5.25% कर दिया है। इस निर्णय का मुख्य उद्देश्य भारतीय अर्थव्यवस्था में निवेश और खर्च को बढ़ावा देना है। जब रेपो रेट कम होता है, तो बैंक आरबीआई से सस्ते लोन प्राप्त कर सकते हैं, जिससे होम लोन, कार लोन, पर्सनल लोन और अन्य क्रेडिट सुविधाओं पर ब्याज दरें भी घटेंगी।
रेपो रेट की परिभाषा
रेपो रेट क्या है?
रेपो रेट वह दर है जिस पर RBI बैंकों को लोन प्रदान करता है। जब RBI इस दर को बढ़ाता है, तो बैंकों के लिए लोन महंगा हो जाता है। इसके विपरीत, जब यह दर घटती है, तो बैंकों को सस्ते दर पर लोन मिलता है। RBI महंगाई को नियंत्रित करने के लिए बाजार में लिक्विडिटी को घटाता है, जो रेपो रेट बढ़ाने के माध्यम से किया जाता है।
रिवर्स रेपो रेट की भूमिका
रिवर्स रेपो रेट क्या है?
रिवर्स रेपो रेट वह दर है जिस पर बैंक अपने अतिरिक्त फंड को RBI में जमा कर ब्याज प्राप्त करते हैं। यह दर उपभोक्ताओं के लिए नहीं, बल्कि बैंकिंग प्रणाली में नकदी प्रबंधन के लिए महत्वपूर्ण है। जब RBI बाजार में नकदी को नियंत्रित करना चाहता है, तो यह रिवर्स रेपो रेट बढ़ाता है, जिससे बैंक अधिक पैसा RBI में जमा करने के लिए प्रेरित होते हैं।
CRR और बैंकिंग प्रणाली पर प्रभाव
कैश रिजर्व रेशियो (CRR)
CRR वह अनुपात है जिसे बैंकों को अपनी कुल जमा राशि का RBI में रखना अनिवार्य होता है। यह नियम इसलिए बनाया गया है ताकि किसी भी बैंक में अचानक बहुत अधिक पैसे निकालने की स्थिति में बैंक ग्राहकों को भुगतान करने में सक्षम रहे। RBI समय-समय पर CRR को बढ़ाता या घटाता है ताकि बैंकिंग प्रणाली में नकदी की उपलब्धता नियंत्रित रहे।
विशेषज्ञों की राय
आर्थिक प्रभाव
हाल की ब्याज दरों में कटौती पर विशेषज्ञों की राय विभाजित रही। कुछ अर्थशास्त्रियों का मानना था कि मजबूत आर्थिक संकेतकों के कारण RBI अपनी नीतिगत दर को स्थिर रख सकता है। वहीं, उद्योग जगत के कुछ विशेषज्ञों का मानना था कि यह समय दर में कटौती का उचित है। इस बदलाव से निवेशकों और आम जनता दोनों के लिए ऋण सस्ता होगा, जिससे आर्थिक गतिविधियों में तेजी आएगी।
आरबीआई का यह निर्णय केवल वित्तीय नीतियों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरे बैंकिंग और वित्तीय बाजार पर व्यापक प्रभाव डालता है। रेपो रेट, रिवर्स रेपो रेट और CRR के माध्यम से RBI महंगाई और लिक्विडिटी को नियंत्रित करने के साथ-साथ आर्थिक विकास को भी प्रोत्साहित करता है। इस निर्णय से बैंकों को सस्ता फंड मिलेगा, जिससे आम उपभोक्ताओं को भी ऋण सस्ते दरों पर उपलब्ध होंगे।
