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आरबीआई ने रेपो रेट में की कटौती, महंगाई में आई कमी

भारतीय रिज़र्व बैंक ने 5 दिसंबर 2025 को रेपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती की है, जिससे महंगाई में कमी आई है। अक्टूबर में महंगाई दर 0.25% पर पहुंच गई, जो हाल के वर्षों का सबसे निचला स्तर है। आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने मौद्रिक नरमी के पीछे महंगाई दबाव में कमी और आर्थिक आधार की मजबूती का हवाला दिया। जानें इस निर्णय के वित्तीय बाजारों पर प्रभाव और भविष्य की संभावनाएं।
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आरबीआई ने रेपो रेट में की कटौती, महंगाई में आई कमी

आरबीआई की मौद्रिक नीति में बदलाव

भारतीय रिज़र्व बैंक ने 5 दिसंबर 2025 को अपनी मौद्रिक नीति समीक्षा के दौरान रेपो रेट को 25 बेसिस प्वाइंट घटाकर 5.25% कर दिया है। यह कटौती उस ईज़िंग चक्र का अंतिम चरण मानी जा रही है, जिसे आरबीआई ने वर्ष की शुरुआत में लागू किया था, जिसमें जून में 50 बेसिस प्वाइंट की महत्वपूर्ण कमी भी शामिल थी.


महंगाई की स्थिति

अक्टूबर 2025 में खुदरा महंगाई केवल 0.25% दर्ज की गई, जो हाल के वर्षों में सबसे कम स्तर है। खाद्य वस्तुओं की कीमतों में गिरावट और उपभोक्ता सामानों पर टैक्स में कटौती के कारण यह स्थिति बनी है। पिछले कुछ तिमाहियों में जीडीपी वृद्धि दर 8% से ऊपर बनी रही है, फिर भी आरबीआई ने अर्थव्यवस्था के ओवरहीटिंग से बचने और खपत व निवेश को संतुलित समर्थन देने का निर्णय लिया है.


आरबीआई गवर्नर का बयान

आरबीआई के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि महंगाई के दबाव में कमी और आर्थिक आधार की मजबूती के कारण मौद्रिक नरमी लागू की गई है। न्यूट्रल नीति रुख बनाए रखने का निर्णय यह संकेत देता है कि 2026 तक दरों में और कटौती की संभावना सीमित है। बैंक की आंतरिक प्रोजेक्शन के अनुसार, अगले वर्ष जीडीपी वृद्धि दर 6 से 6.5% और महंगाई 3 से 4% के बीच रह सकती है.


आर्थिक विश्लेषण और बाजार की प्रतिक्रिया

प्री-मीटिंग विश्लेषणों में अधिकांश अर्थशास्त्रियों ने 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती की संभावना जताई थी, जो अब सही साबित हुई है। इस निर्णय के बाद वित्तीय बाजारों में सकारात्मक संकेत देखने को मिले हैं, और गृह ऋण, वाहन ऋण तथा कारोबारी कर्ज की ब्याज लागत में कमी आने की उम्मीद बढ़ गई है। मौद्रिक नरमी का यह दौर वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच घरेलू मांग और निवेश को संतुलित गति देने की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है, जिसके प्रभाव आने वाले महीनों में स्पष्ट होंगे.