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आरबीआई ने रेपो रेट में की कटौती, लोन और ईएमआई होंगे सस्ते

भारतीय रिजर्व बैंक ने हाल ही में रेपो रेट में 25 बेसिस पॉइंट की कटौती की है, जिससे लोन और ईएमआई की लागत में कमी आएगी। इस निर्णय का अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा, जिससे होम और ऑटो लोन सस्ते होंगे। आरबीआई ने मौद्रिक नीति का रुख न्यूट्रल रखा है और जीडीपी वृद्धि दर का अनुमान भी बढ़ाया है। जानें इस फैसले के पीछे के कारण और इसके संभावित प्रभावों के बारे में।
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आरबीआई ने रेपो रेट में की कटौती, लोन और ईएमआई होंगे सस्ते

आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति की बैठक का निर्णय

मुंबई - भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने शुक्रवार को मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक के परिणामों की घोषणा की। केंद्रीय बैंक ने रेपो रेट में 25 बेसिस पॉइंट की कमी की है, जिससे यह 5.50 प्रतिशत से घटकर 5.25 प्रतिशत हो गई है। इसके साथ ही, मौद्रिक नीति का रुख 'न्यूट्रल' बना हुआ है।


रेपो रेट वह दर है जिस पर RBI बैंकों को ऋण प्रदान करता है। जब RBI इस दर को घटाता है, तो बैंकों को सस्ता कर्ज मिलता है, जिसका लाभ ग्राहकों को भी मिलता है। इसका मतलब है कि आने वाले समय में होम और ऑटो लोन की दरें 0.25% तक कम हो जाएंगी। हालिया कटौती के बाद, 20 साल के 20 लाख के लोन पर ईएमआई 310 रुपए तक कम हो जाएगी, जबकि 30 लाख के लोन पर यह 465 रुपए तक घटेगी।


आरबीआई गवर्नर ने बताया कि केंद्रीय बैंक 1 लाख करोड़ रुपए की सरकारी सिक्योरिटीज खरीदकर ओपन मार्केट ऑपरेशंस के माध्यम से अर्थव्यवस्था में लिक्विडिटी बढ़ाएगा। इसके अलावा, 5 बिलियन डॉलर का डॉलर-रुपया स्वैप अरेंजमेंट भी किया जाएगा।


केंद्रीय बैंक ने स्टैंडिंग डिपॉजिट फैसिलिटी (एसडीएफ) रेट को घटाकर 5 प्रतिशत और मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी (एमएसएफ) रेट को 5.50 प्रतिशत कर दिया है। पिछले अक्टूबर में, एमपीसी बैठक में रेपो रेट को स्थिर रखने का निर्णय लिया गया था और मौद्रिक नीति का रुख भी न्यूट्रल रखा गया था।


गवर्नर मल्होत्रा ने कहा कि चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही के लिए महत्वपूर्ण आंकड़े आर्थिक गतिविधियों में तेजी का संकेत दे रहे हैं। जीएसटी रेशनलाइजेशन, कृषि में सुधार और कंपनियों के बेहतर बही-खाते जैसे कारक आर्थिक गतिविधियों को समर्थन देंगे। केंद्रीय बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिए जीडीपी वृद्धि दर का अनुमान 7.3 प्रतिशत लगाया है, जबकि पहले यह 6.8 प्रतिशत था।


इस वर्ष की दिसंबर तिमाही के लिए जीडीपी वृद्धि दर 7 प्रतिशत, अगले वर्ष मार्च तिमाही के लिए 6.5 प्रतिशत, जून तिमाही के लिए 6.7 प्रतिशत और सितंबर तिमाही के लिए 6.8 प्रतिशत रहने का अनुमान है। इसके साथ ही, केंद्रीय बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिए खुदरा महंगाई 2 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है, जो पहले 2.6 प्रतिशत थी। आरबीआई गवर्नर ने यह भी बताया कि देश का विदेशी मुद्रा भंडार बढ़कर 686 बिलियन डॉलर हो गया है, जो 11 महीने का मजबूत इंपोर्ट कवर प्रदान करता है।


इससे पहले, आरबीआई गवर्नर ने पिछले हफ्ते संकेत दिया था कि अच्छे मैक्रोइकोनॉमिक संकेतकों के कारण 5 दिसंबर को मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक में ग्रोथ को बढ़ावा देने के लिए रेपो रेट में कटौती की संभावना है।