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इंडिगो एयरलाइन का परिचालन संकट: उड़ानें रद्द और यात्रियों की परेशानियाँ

इंडिगो एयरलाइन वर्तमान में एक गंभीर परिचालन संकट का सामना कर रही है, जिसके कारण 300 से अधिक उड़ानें रद्द हो गई हैं। हजारों यात्री प्रभावित हुए हैं, और एयरलाइन ने इस स्थिति के लिए कई कारण बताए हैं। पायलटों की कमी और नए नियमों का पालन न कर पाने के चलते यह संकट उत्पन्न हुआ है। जानें इस मामले में DGCA की भूमिका और इंडिगो की प्रतिक्रिया के बारे में।
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इंडिगो एयरलाइन का परिचालन संकट: उड़ानें रद्द और यात्रियों की परेशानियाँ

इंडिगो की परिचालन समस्याएँ

देश की प्रमुख एयरलाइन इंडिगो वर्तमान में एक गंभीर परिचालन संकट का सामना कर रही है। लगातार तीसरे दिन, गुरुवार को, 300 से अधिक घरेलू और अंतरराष्ट्रीय उड़ानें रद्द की गईं, जबकि कई उड़ानें घंटों की देरी से चलीं। इसके परिणामस्वरूप, हजारों यात्री हवाई अड्डों पर फंसे रहे, जिससे कई की छुट्टियाँ प्रभावित हुईं और व्यवसायिक कार्यक्रम बाधित हो गए। रिपोर्टों के अनुसार, दोपहर तक चार प्रमुख शहरों में रद्द उड़ानों की संख्या चिंताजनक रही— दिल्ली में 95, मुंबई में 85, हैदराबाद में 70 और बेंगलुरु में 50 उड़ानें रद्द हुईं। अन्य हवाई अड्डों पर भी स्थिति बेहतर नहीं थी। छह प्रमुख हवाई अड्डों के आंकड़ों के अनुसार, इंडिगो की 'ऑन-टाइम परफॉर्मेंस' बुधवार को घटकर केवल 19.7% रह गई, जबकि सामान्य दिनों में यह 80-90% होती है।


नए नियमों का प्रभाव

यह स्थिति अचानक नहीं बनी है। पायलटों की कार्य-समय सीमा निर्धारित करने वाले नए 'एफडीटीएल' नियम लागू होने के बाद से इंडिगो को चालक दल की कमी का सामना करना पड़ रहा है। ये नए नियम पायलटों को अधिक विश्राम देने और रात में लैंडिंग की सीमाएँ निर्धारित करने का प्रावधान करते हैं, जिससे उड़ान सुरक्षा में वृद्धि होती है, लेकिन एयरलाइनों को अधिक पायलटों की आवश्यकता भी होती है। पायलट संगठनों का आरोप है कि एयरलाइन ने सुधारात्मक उपायों के लिए दो साल का समय होते हुए भी पायलटों की भर्ती पर रोक लगाकर एक 'अदूरदर्शी और जोखिमभरी रणनीति' अपनाई।


पायलट संघ की चिंताएँ

फेडरेशन ऑफ इंडियन पायलट्स (FIP) ने डीजीसीए को एक पत्र में कहा है कि इंडिगो की यह स्थिति दीर्घकालिक मानव संसाधन प्रबंधन की कमी का परिणाम है। संगठन का कहना है कि नए नियम लागू होने से पहले ही इंडिगो ने बिना कारण भर्ती रोक दी, जिससे एयरलाइन अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में असमर्थ हो गई है। एफआईपी ने यह भी मांग की है कि जब तक इंडिगो पर्याप्त चालक दल उपलब्ध नहीं कराती, तब तक नियामक उसके मौसमी उड़ान कार्यक्रम को मंजूरी न दे।


इंडिगो का स्पष्टीकरण

इंडिगो का कहना है कि परिचालन में आ रही समस्याओं के पीछे कई कारण हैं, जैसे तकनीकी समस्याएँ, शीतकालीन उड़ान समय-सारणी में बदलाव, मौसम की प्रतिकूलता, और हवाई अड्डों पर बढ़ती भीड़भाड़। एयरलाइन ने यह भी बताया कि स्थिति को सामान्य करने के लिए शुक्रवार तक 'संतुलित उड़ान समायोजन' किया जाएगा, जिसमें कुछ उड़ानों को रद्द और कुछ को पुनर्निर्धारित किया जाएगा। इस संकट का असर शेयर बाजार पर भी पड़ा, जहां इंडिगो की मूल कंपनी इंटरग्लोब एविएशन के शेयर में 2.25% की गिरावट आई।


नियामक की कार्रवाई

नागर विमानन महानिदेशालय (DGCA) ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए इंडिगो से विस्तृत स्पष्टीकरण मांगा है। नियामक यह भी जांच कर रहा है कि एयरलाइन ने नए एफडीटीएल नियमों के अनुसार समय पर तैयारी क्यों नहीं की।


भारतीय विमानन क्षेत्र की चुनौतियाँ

इंडिगो का संकट केवल एक कंपनी की गलती नहीं है, बल्कि यह भारतीय विमानन क्षेत्र की पुरानी समस्याओं को उजागर करता है, जिसमें तेज़ विस्तार की चाह, सीमित मानव संसाधन और नियामकीय बदलावों की अनदेखी शामिल है। कंपनियाँ अक्सर मुनाफे और लागत-कटौती के दबाव में पायलटों और तकनीकी कर्मचारियों की वास्तविक जरूरतों को नजरअंदाज कर देती हैं, जिसका खामियाजा यात्रियों को भुगतना पड़ता है।


भविष्य की दिशा

एफडीटीएल जैसे नियम सुरक्षा के लिए आवश्यक हैं, लेकिन उनका पालन तभी संभव है जब एयरलाइंस दीर्घकालिक सोच के साथ भर्ती और प्रशिक्षण में निवेश करें। यदि इंडिगो ने वास्तव में दो साल की तैयारी अवधि गंवा दी है, तो यह केवल प्रबंधन की असफलता नहीं, बल्कि यात्रियों के विश्वास के साथ खिलवाड़ भी है। अब इंडिगो और डीजीसीए दोनों के लिए यह आवश्यक है कि वे अपने परिचालन ढांचे में सुधार करें और सुनिश्चित करें कि भविष्य में ऐसी अव्यवस्था न हो। यात्रियों को उड़ानें चाहिए, बहाने नहीं।