इजरायल-ईरान सैन्य टकराव: भारत के व्यापार पर संभावित खतरे

भारत के व्यापारिक हितों पर खतरा
- भारत के व्यापारिक हितों पर खतरा मंडराने की बात कही
- ऊर्जा कीमतों में तेजी से उद्योगों की लागत बढ़ेगी
(Gurugram News) गुरुग्राम। इजरायल और ईरान के बीच बढ़ता सैन्य तनाव न केवल मध्य-पूर्व की स्थिरता के लिए, बल्कि भारत जैसे आयात पर निर्भर देशों के लिए भी गंभीर खतरा बन सकता है। स्ट्रेट ऑफ होरमुज, जो वैश्विक कच्चे तेल की आपूर्ति का लगभग 20 प्रतिशत हिस्सा है, यदि बाधित होता है, तो भारत की ऊर्जा आपूर्ति पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। यह जानकारी प्रोग्रेसिव फेडरेशन ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री (पीएफटीआई) के चेयरमैन दीपक मैनी ने दी।
दीपक मैनी ने रविवार को कहा कि गुरुग्राम भारत का एक महत्वपूर्ण औद्योगिक और कॉर्पोरेट केंद्र है, जहां मैन्युफैक्चरिंग, ऑटोमोबाइल, टेक्सटाइल, फार्मा और इंजीनियरिंग गुड्स का उत्पादन होता है, जो अंतरराष्ट्रीय बाजारों में निर्यात किए जाते हैं। गुरुग्राम की लॉजिस्टिक्स मुंबई, कांडला और गुजरात के अन्य बंदरगाहों पर निर्भर करती है, जिनके माध्यम से माल मध्य-पूर्व, यूरोप और अफ्रीका भेजा जाता है। इनमें से अधिकांश मालवाहक जहाज स्ट्रेट ऑफ होरमुज से गुजरते हैं।
भारत अपनी कुल तेल जरूरतों का लगभग 80 प्रतिशत आयात करता है
उन्होंने बताया कि भारत अपनी कुल तेल जरूरतों का लगभग 80 प्रतिशत आयात करता है, जिसमें से एक बड़ी हिस्सेदारी इसी मार्ग से आती है। यदि यह आपूर्ति श्रृंखला धीमी या ठप हो जाती है, तो घरेलू बाजार में पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों में अप्रत्याशित वृद्धि हो सकती है। ऊर्जा लागत में वृद्धि का सीधा असर निर्माण, परिवहन और सेवा क्षेत्रों पर पड़ेगा, जिससे महंगाई और औद्योगिक उत्पादन लागत में भारी बढ़ोतरी होगी।
इससे उपभोक्ता कीमत सूचकांक पर दबाव बनेगा और भारत के लघु और मध्यम उद्योगों के लिए टिके रहना चुनौतीपूर्ण हो जाएगा। दीपक मैनी ने चिंता जताई कि यदि यह संघर्ष लम्बा चलता है और अमेरिका, चीन, रूस जैसे बड़े देश इसमें शामिल होते हैं, तो वैश्विक सप्लाई चेन और निवेश प्रवाह पर स्थायी असर पड़ेगा। भारत के निर्यात पर भी दबाव आएगा, विशेषकर पेट्रो-केमिकल्स, इंजीनियरिंग गुड्स, टेक्सटाइल्स और फार्मा जैसे क्षेत्रों में।
भारत सरकार से अपील की कि वह अपने कूटनीतिक प्रयास तेज करे
उन्होंने भारत सरकार से आग्रह किया कि वह अपने कूटनीतिक प्रयासों को तेज करे ताकि दोनों पक्षों के बीच तनाव को कम करने के लिए वैश्विक स्तर पर पहल की जा सके। इसके साथ ही, यह भी आवश्यक है कि भारत वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों की आपूर्ति पर तुरंत काम करना शुरू करे, ताकि किसी संभावित आपूर्ति संकट से देश की आर्थिक प्रगति पर असर न पड़े।
मैनी ने कहा कि वर्तमान परिस्थितियों में नीति निर्माताओं को ऊर्जा संरक्षण, घरेलू उत्पादन और रणनीतिक रिजर्व पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है, ताकि वैश्विक घटनाओं का भारतीय उद्योग और आम उपभोक्ताओं पर न्यूनतम असर हो।