ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमले से तेल की कीमतों में वृद्धि की आशंका
ईरान के परमाणु ठिकानों पर अमेरिका के हमले के बाद तेल की कीमतों में वृद्धि की आशंका बढ़ गई है। इस स्थिति का वैश्विक अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है। भारत सरकार ने इस पर गंभीरता से विचार किया है और देश में तेल के पर्याप्त भंडार होने की जानकारी दी है। जानें इस मुद्दे पर और क्या हो रहा है और क्या आपको अपनी गाड़ी का टैंक भरवाना चाहिए।
Jun 23, 2025, 15:55 IST
| 
तेल की कीमतों में संभावित वृद्धि
ईरान के परमाणु स्थलों पर अमेरिका द्वारा बमबारी के कारण तेल की कीमतों में वृद्धि की संभावनाएं बढ़ गई हैं। यह स्पष्ट है कि यदि तेल की कीमतें बढ़ती हैं, तो वैश्विक स्तर पर महंगाई में इजाफा होगा और आर्थिक गतिविधियों में अनिश्चितता उत्पन्न होगी। ईरान की स्थिति को लेकर सोशल मीडिया पर कई चर्चाएं चल रही हैं, जिसमें सुझाव दिया जा रहा है कि वाहन में तेल भरवा कर रखना चाहिए क्योंकि कीमतें बढ़ने की संभावना है। इस लेख में हम यह जानने की कोशिश करेंगे कि क्या आपको सच में अपने वाहन का टैंक भरवाना चाहिए?
ईरान की प्रतिक्रिया और वैश्विक प्रभाव
ईरान ने अमेरिकी हमलों का जवाब देने की बात कही है, और यदि युद्ध का दायरा बढ़ता है, तो ऊर्जा कीमतों में वृद्धि की संभावना सबसे अधिक है। हालांकि, इज़राइली शेयर बाजार यह संकेत दे रहा है कि ईरान के परमाणु शक्ति बनने की संभावना कम होने के कारण मध्य पूर्व की अर्थव्यवस्थाओं में बड़े बदलाव आ सकते हैं। विश्लेषकों का कहना है कि यदि ईरान हार्मुज़ जलडमरूमध्य को बंद करता है, तो तेल की कीमतें और भी बढ़ सकती हैं। हार्मुज़ जलडमरूमध्य 33 किमी चौड़ा है और यहां से दुनिया का लगभग एक-चौथाई तेल व्यापार और 20% तरल प्राकृतिक गैस की आपूर्ति होती है। यदि ईरान इस जलडमरूमध्य को पूरी तरह बंद कर देता है, तो उसकी अपनी तेल आपूर्ति भी प्रभावित होगी।
भारत की स्थिति
तेल की कीमतों में संभावित वृद्धि को लेकर भारत की मोदी सरकार गंभीर है। भारत के पास रिकॉर्ड मात्रा में तेल रिजर्व हैं, जिससे यहां कीमतों में बढ़ोतरी की संभावना कम है। पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि सरकार ने इस स्थिति का पूर्वानुमान लगाया था और प्रधानमंत्री के नेतृत्व में स्थिति की लगातार समीक्षा की जा रही है। उन्होंने बताया कि भारत में प्रतिदिन 5.5 मिलियन बैरल कच्चे तेल की खपत होती है, जिसमें से लगभग 1.5-2 मिलियन बैरल हार्मुज़ जलडमरूमध्य के माध्यम से आता है। भारत अन्य मार्गों से लगभग 4 मिलियन बैरल कच्चे तेल का आयात करता है और तेल विपणन कंपनियों के पास पर्याप्त स्टॉक है।