एचडीएफसी बैंक को मिली अनुमति, इंडसइंड बैंक में हिस्सेदारी बढ़ाने की योजना
एचडीएफसी बैंक की नई पहल
भारतीय रिज़र्व बैंक ने एचडीएफसी बैंक की विभिन्न सहयोगी कंपनियों को इंडसइंड बैंक में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने की अनुमति प्रदान की है। इस मंजूरी के तहत एचडीएफसी समूह की संस्थाएं मिलकर इंडसइंड बैंक में अधिकतम 9.5 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीद सकती हैं।
अनुमति की जानकारी
यह अनुमति रिज़र्व बैंक द्वारा 15 दिसंबर को जारी एक पत्र के आधार पर दी गई है, और इसकी वैधता एक वर्ष तक रहेगी। एचडीएफसी बैंक ने अपने बयान में बताया कि इस मंजूरी में उसके समूह की कई प्रमुख संस्थाएं शामिल हैं, जैसे एचडीएफसी म्यूचुअल फंड, एचडीएफसी लाइफ इंश्योरेंस, और एचडीएफसी पेंशन फंड।
इंडसइंड बैंक की स्थिति
इन सभी संस्थाओं को मिलकर इंडसइंड बैंक की चुकता शेयर पूंजी या मतदान अधिकारों में कुल 9.5 प्रतिशत हिस्सेदारी रखने की अनुमति दी गई है। उल्लेखनीय है कि एचडीएफसी बैंक देश का सबसे बड़ा निजी बैंक है, जबकि इंडसइंड बैंक हाल के समय में कई गंभीर चुनौतियों का सामना कर रहा है।
तिमाही घाटा और चुनौतियाँ
इंडसइंड बैंक ने 31 मार्च को समाप्त तिमाही में अब तक का सबसे बड़ा तिमाही घाटा दर्ज किया था। बैंक को अपने खातों में लगभग 23 करोड़ डॉलर का वित्तीय झटका लगा, जो गवर्नेंस और अकाउंटिंग से जुड़ी खामियों के कारण हुआ। इन घटनाओं के चलते बैंक के पूर्व सीईओ और डिप्टी सीईओ को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा।
निवेशकों की चिंताएँ
निवेशकों ने बैंक के बोर्ड पर निगरानी में चूक और डेरिवेटिव पोर्टफोलियो में हुई लेखा गड़बड़ियों की जानकारी समय पर सार्वजनिक न करने को लेकर सवाल उठाए हैं। इन कमियों का बैंक के वित्तीय प्रदर्शन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है।
भविष्य की योजनाएँ
इन घटनाओं के बाद, इंडसइंड बैंक ने अपनी पूंजी स्थिति को मजबूत करने के लिए बड़े कदम उठाने की योजना बनाई है। बैंक ने संकेत दिया है कि वह भविष्य में लगभग 3.47 अरब डॉलर तक की पूंजी जुटा सकता है और प्रवर्तकों को बोर्ड में दो निदेशक नामित करने की अनुमति देगा।
नियामकीय मंजूरी का महत्व
एचडीएफसी समूह की संस्थाओं को मिली यह नियामकीय मंजूरी बैंकिंग क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण मानी जा रही है और इसे इंडसइंड बैंक में विश्वास की वापसी से जोड़ा जा रहा है।
