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केंद्र सरकार की नई GST योजना से बढ़ सकते हैं सिगरेट और कारों के दाम

केंद्र सरकार की नई जीएसटी योजना में मुआवजा उपकर को समाप्त कर स्वास्थ्य और स्वच्छ ऊर्जा उपकर लागू करने का प्रस्ताव है। इससे सिगरेट, कार्बोनेटेड पेय और महंगी कारों की कीमतों में वृद्धि हो सकती है। इस योजना पर चर्चा के लिए मंत्रियों का समूह इस महीने के अंत में बैठक करेगा। विशेषज्ञों का मानना है कि नए उपकरों को लागू करना आसान नहीं होगा और इसके लिए संवैधानिक संशोधन की आवश्यकता हो सकती है। इसके अलावा, जीएसटी स्लैब की संख्या कम करने पर भी विचार चल रहा है, जिससे मध्यम वर्ग को राहत मिल सकती है।
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केंद्र सरकार की नई GST योजना से बढ़ सकते हैं सिगरेट और कारों के दाम

स्वास्थ्य और स्वच्छ ऊर्जा उपकर का प्रस्ताव

केंद्र सरकार की जीएसटी प्रणाली में मुआवजा उपकर को समाप्त करने और इसके स्थान पर स्वास्थ्य और स्वच्छ ऊर्जा उपकर लागू करने की योजना से सिगरेट, कार्बोनेटेड पेय पदार्थों और महंगी कारों की कीमतों में वृद्धि हो सकती है.


स्वास्थ्य और स्वच्छ ऊर्जा सेस

स्वास्थ्य सेस 'सिन गुड्स' जैसे तंबाकू उत्पादों और 28% जीएसटी स्लैब वाले अन्य वस्तुओं पर लागू होगा, जिन्हें समाज पर नकारात्मक प्रभाव के कारण उच्च कर दर पर रखा गया है. वहीं, स्वच्छ ऊर्जा उपकर महंगी कारों और कोयले पर लागू होगा, जो नरेंद्र मोदी सरकार की नवीकरणीय और गैर-प्रदूषणकारी ऊर्जा की दिशा में नीति के अनुरूप है. एक प्रतिष्ठित मीडिया के अनुसार, केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी की अध्यक्षता में मुआवजा उपकर पर मंत्रियों का समूह (GoM) इस महीने के अंत में इस मुद्दे पर चर्चा करेगा.


कानूनी चुनौतियाँ

विशेषज्ञों का मानना है कि एक उपकर को दो नए उपकरों से बदलना आसान नहीं होगा, क्योंकि जीएसटी कानून नए उपकर की अनुमति नहीं देता, जिसके लिए संवैधानिक संशोधन की आवश्यकता हो सकती है. नए उपकरों का लाभार्थी कौन होगा, यह भी एक महत्वपूर्ण मुद्दा है. मुआवजा उपकर 2017 में जीएसटी अधिनियम के साथ शुरू हुआ था, ताकि राज्यों को राजस्व हानि की भरपाई की जा सके. यह उपकर जून 2022 में समाप्त हो गया था, लेकिन मार्च 2026 तक बढ़ा दिया गया ताकि राज्य महामारी के दौरान लिए गए ऋणों को चुका सकें.


मध्यम वर्ग के लिए राहत?

सूत्रों के अनुसार, जीएसटी स्लैब की संख्या कम करने पर भी चर्चा चल रही है, जिसमें 12% स्लैब को समाप्त करने का प्रस्ताव है. इससे कुछ उत्पाद 5% के निचले कर दायरे में आ सकते हैं, जबकि अन्य 18% के उच्च स्लैब में जाएंगे. सरकार का मानना है कि टूथपेस्ट जैसे मध्यम वर्ग और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए आवश्यक उत्पादों पर कर कम करने से खपत बढ़ेगी, जिससे लंबे समय में कर संग्रह में वृद्धि होगी.


जीएसटी संग्रह में वृद्धि

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, जून में जीएसटी संग्रह 6.2% बढ़कर 1.85 लाख करोड़ रुपए से अधिक हो गया, जो पिछले साल की समान अवधि में 1.74 लाख करोड़ रुपए था. हालांकि, यह मई के ₹2.01 लाख करोड़ और अप्रैल के ₹2.37 लाख करोड़ से कम था.