केंद्र सरकार के कर्मचारियों के ई-मेल अब Zoho प्लेटफॉर्म पर, डेटा सुरक्षा को बढ़ावा

कर्मचारियों के ई-मेल का स्थानांतरण
पिछले एक साल में, केंद्र सरकार के सभी 12 लाख कर्मचारियों के ई-मेल पते, जिनमें प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) के ई-मेल भी शामिल हैं, अब नेशनल इंफॉर्मेटिक्स सेंटर (NIC) की प्रणाली से बदलकर तमिलनाडु के तेनकासी स्थित भारतीय कंपनी Zoho के प्लेटफॉर्म पर स्थानांतरित कर दिए गए हैं। अधिकारियों का कहना है कि यह कदम डेटा सुरक्षा को सुनिश्चित करने और 'आत्मनिर्भर भारत' के लक्ष्य को साकार करने के लिए उठाया गया है.
Zoho ऑफिस सूट का उपयोग
अब सरकारी कर्मचारियों के लिए Zoho का ऑफिस सूट भी सक्रिय किया गया है, जिससे वे वर्ड फाइल, स्प्रेडशीट और प्रेजेंटेशन बनाने के लिए ओपन सोर्स एप्लिकेशन का उपयोग न करें। पहले यह सुविधा सीमित थी, लेकिन अब इसे अधिक सुलभ बनाया गया है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि कई कर्मचारी ओपन सोर्स टूल्स का उपयोग कर रहे थे, जिससे सुरक्षा में जोखिम बढ़ रहा था. इसलिए मंत्रालय ने निर्णय लिया कि Zoho सूट को सरकारी ईमेल सिस्टम में प्रमुखता से शामिल किया जाए.
शिक्षा मंत्रालय का निर्देश
3 अक्टूबर को शिक्षा मंत्रालय ने सभी अधिकारियों को Zoho सूट के उपयोग के निर्देश दिए थे। मंत्रालय ने कहा कि यह कदम भारत को 'सेवा आधारित अर्थव्यवस्था' से 'उत्पाद आधारित राष्ट्र' की दिशा में आगे बढ़ाने का एक हिस्सा है। इसके तहत स्वदेशी सॉफ्टवेयर समाधान को बढ़ावा दिया जा रहा है ताकि देश तकनीकी रूप से आत्मनिर्भर बन सके. Zoho ऑफिस सूट पहले से ही NIC मेल सिस्टम से जुड़ा था और अब सभी ईमेल Zoho के प्लेटफॉर्म पर होस्ट किए जा रहे हैं, जबकि डोमेन nic.in और gov.in ही रहेगा.
NIC और Zoho का सहयोग
NIC की स्थापना 1976 में इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत की गई थी, जो केंद्र और राज्य सरकारों को डिजिटल समाधान प्रदान करता है। Zoho को वर्ष 2023 में सात साल के समझौते के तहत यह जिम्मेदारी दी गई थी। अधिकारियों के अनुसार, सुरक्षा एजेंसियों, NIC और CERT-In की रिपोर्ट के आधार पर यह निर्णय लिया गया है. Zoho प्लेटफॉर्म की सुरक्षा का ऑडिट नियमित रूप से किया जा रहा है ताकि डेटा पूरी तरह सुरक्षित रहे.
डेटा सुरक्षा पर विशेषज्ञों की राय
पूर्व आईएएस अधिकारी के.बी.एस. सिद्धू ने कहा है कि इस बदलाव का समर्थन किया जा सकता है, लेकिन डेटा सुरक्षा की गारंटी अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने कहा कि किसी भी स्वदेशी प्लेटफॉर्म को अपनाने से पहले एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन और स्वतंत्र रूप से ऑडिट किए गए डाटा सेंटर की सुरक्षा सुनिश्चित की जानी चाहिए। वहीं, Zoho के संस्थापक श्रीधर वेम्बू ने हाल ही में कहा कि उनकी कंपनी ग्राहकों के डेटा तक पहुंच नहीं रखती और न ही उसका उपयोग व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए करती है. उनका कहना है कि भरोसा ही उनकी सबसे बड़ी पूंजी है और कंपनी हर दिन उस भरोसे को मजबूत करने का प्रयास कर रही है.
डिजिटल ढांचे में महत्वपूर्ण बदलाव
इस बदलाव को देश के डिजिटल ढांचे में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है, जिससे सरकारी ईमेल व्यवस्था अधिक सुरक्षित और स्वदेशी तकनीक पर आधारित हो गई है। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि सुरक्षा मानकों का पालन सख्ती से किया गया तो यह पहल भारत की डिजिटल संप्रभुता को और मजबूत करने में सहायक साबित होगी.