Newzfatafatlogo

केंद्र सरकार ने जीडीपी और महंगाई के मापने के पैमाने में बदलाव की योजना बनाई

केंद्र सरकार ने जीडीपी और महंगाई के मापने के तरीके में बदलाव करने का निर्णय लिया है। नई सीरीज फरवरी 2024 में जारी की जाएगी, जिसमें खाद्य पदार्थों का वजन कम किया जाएगा। यह बदलाव डेटा को वर्तमान समय की आवश्यकताओं के अनुसार अधिक सटीक बनाने के लिए किया जा रहा है। जानें इस नई सीरीज के तहत क्या परिवर्तन होंगे और इसका प्रभाव क्या होगा।
 | 
केंद्र सरकार ने जीडीपी और महंगाई के मापने के पैमाने में बदलाव की योजना बनाई

नई सीरीज के तहत जीडीपी और महंगाई का नया आकलन

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने विकास दर यानी जीडीपी और महंगाई को मापने के तरीके में बदलाव करने का निर्णय लिया है। अगले वर्ष फरवरी में एक नई सीरीज जारी की जाएगी, जिसके तहत जीडीपी और महंगाई का आकलन एक नए पैमाने पर किया जाएगा। रिपोर्ट्स के अनुसार, सरकार महंगाई की बास्केट में खाद्य पदार्थों का वजन कम करने की योजना बना रही है। वर्तमान में, खाद्य पदार्थों का वजन 50 प्रतिशत से अधिक है, जिससे इनकी कीमतों में वृद्धि होने पर महंगाई में भी तेजी से बढ़ोतरी होती है।


इसके अलावा, फरवरी 2026 से खुदरा मूल्य सूचकांक पर आधारित महंगाई और विकास दर के आंकड़े नई सीरीज के अनुसार जारी किए जाएंगे। मई 2026 से औद्योगिक उत्पादन यानी आईआईपी के आंकड़े भी इसी नई सीरीज में शामिल होंगे। जीडीपी और आईआईपी के लिए नया आधार वर्ष 2022-23 निर्धारित किया गया है, जबकि खुदरा महंगाई दर के लिए आधार वर्ष 2024 होगा।


सूत्रों के अनुसार, सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय ने इस बदलाव की तैयारी पूरी कर ली है। वर्तमान में, जीडीपी और खुदरा महंगाई के आंकड़े पुराने आधार वर्ष 2011-12 के अनुसार तैयार किए जाते हैं। जबकि कई देशों में यह हर पांच साल में अपडेट होते हैं। इस आधार वर्ष में बदलाव का मुख्य उद्देश्य डेटा को वर्तमान समय की आवश्यकताओं और खपत के अनुसार अधिक सटीक बनाना है।