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क्या Zomato का पुराना बिल आपको याद दिलाता है सस्ती फूड डिलीवरी के दिन?

सोशल मीडिया पर एक Reddit पोस्ट में Zomato का 2019 का बिल वायरल हो रहा है, जो दर्शाता है कि कैसे फूड डिलीवरी की कीमतें पिछले कुछ वर्षों में बढ़ गई हैं। यूजर्स इस बिल को देखकर सोचने पर मजबूर हो गए हैं कि कैसे पहले की तुलना में आज की डिलीवरी सेवाएं महंगी हो गई हैं। इस लेख में जानें कि कैसे बढ़ती लागत और प्लेटफॉर्म फीस ने ग्राहकों के बजट पर असर डाला है।
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क्या Zomato का पुराना बिल आपको याद दिलाता है सस्ती फूड डिलीवरी के दिन?

Zomato का पुराना बिल वायरल

Zomato Old Bill Viral: हाल ही में एक Reddit पोस्ट सोशल मीडिया पर तेजी से फैल रहा है, जिसमें एक उपयोगकर्ता ने Zomato का 2019 का बिल साझा किया है। यह पुराना बिल लोगों को उस समय की याद दिला रहा है जब ऑनलाइन फूड डिलीवरी वास्तव में किफायती हुआ करती थी। न तो डिलीवरी चार्ज था, न प्लेटफॉर्म फीस, और भारी छूट के साथ यह आज की तुलना में किसी सपने जैसा लगता है।


फूड डिलीवरी सेवाओं में बदलाव

इस पोस्ट ने यूजर्स को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि कैसे पिछले कुछ वर्षों में फूड डिलीवरी सेवाओं का स्वरूप बदल गया है। बताया गया है कि जिस ऑर्डर की कीमत 2019 में मामूली थी, वही आज लगभग ₹300 तक पहुंच गई है। इसके पीछे बढ़ती कीमतें, अतिरिक्त चार्जेज और प्लेटफॉर्म फीस को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है।


2019 में Zomato की सस्ती सेवाएं

Reddit यूजर ने उल्लेख किया कि यह वह समय था जब Zomato वास्तव में किफायती था। उस समय कूपन कोड्स में असली छूट मिलती थी, न कि आज की तरह दिखावे। इस बिल में 9.6 किमी दूर के रेस्टोरेंट से फ्री डिलीवरी, बिना किसी प्लेटफॉर्म शुल्क और भारी छूट देखने को मिली, जो आज के समय में असंभव सी लगती है।


क्या Zomato का पुराना बिल आपको याद दिलाता है सस्ती फूड डिलीवरी के दिन?
Zomato Old Bill Viral social media


यूजर्स की प्रतिक्रियाएं

लोगों का कहना है कि अब Zomato और अन्य फूड डिलीवरी ऐप्स पर डिलीवरी चार्ज, प्लेटफॉर्म फीस और डायनैमिक प्राइसिंग जैसे छुपे हुए खर्चों ने ग्राहकों का बजट बिगाड़ दिया है। एक यूजर ने लिखा कि अगर पनीर चिल्ली ₹150 में मिल रहा है, तो सोचिए प्रॉफिट कौन कमा रहा है? Zomato 30% लेता है। रेस्टोरेंट के पास ₹100 बचते हैं, जिसमें से किराया, सैलरी, कच्चा माल... सब चला जाता है, तो असली पनीर कहां से आएगा? वहीं एक अन्य यूजर ने लिखा कि जब उसने पढ़ा कि यह 7 साल पुराना बिल है, तो उसे लगा कि यह 2013-14 की बात होगी। फिर देखा 2019... यह टिप्पणी इस बात की ओर इशारा करती है कि महंगाई और ऐप्स की नीतियों में बदलाव इतने तेजी से हुए हैं कि सिर्फ चार-पांच सालों में ही सब कुछ पूरी तरह बदल गया।


डिलीवरी का असर रेस्टोरेंट और ग्राहकों पर

एक अन्य यूजर ने कमेंट किया कि वह खुद कैटरिंग इंडस्ट्री में काम कर चुका है। पहले अमूल घी का 15kg टिन ₹5500 में मिलता था, अब ₹9000 से ऊपर है। Zomato और Swiggy तब 90% रेस्टोरेंट्स पर 50% तक की छूट देते थे। इससे साफ जाहिर होता है कि बढ़ती लागत और बदले बिजनेस मॉडल का सीधा असर अब ग्राहकों की जेब पर पड़ रहा है।


Zomato का नया बिजनेस मॉडल

Zomato ने समय के साथ धीरे-धीरे डिलीवरी और प्लेटफॉर्म फीस लागू की ताकि लॉजिस्टिक्स, रेस्टोरेंट पार्टनरशिप और ऑपरेशनल स्केल को सपोर्ट किया जा सके। हालांकि, कुछ लोगों का मानना है कि इस बदलाव ने एक समय पर आसान और सस्ती रही सर्विस को अब लग्जरी बना दिया है। आज ग्राहक एक ऑर्डर देने से पहले कई बार सोचते हैं क्योंकि चार्जेस अक्सर उम्मीद से कहीं ज्यादा होते हैं। सुविधा की कीमत अब इतनी बढ़ गई है कि आम आदमी के लिए बाहर का खाना मंगवाना आसान नहीं रहा।