क्या अमेरिकी टैरिफ से घाटा कम होगा? जानें पूरी जानकारी

अमेरिका का कर्ज और टैरिफ की घोषणा
अमेरिका पर कर्ज का बोझ
अमेरिका का कर्ज वर्तमान में 37.18 ट्रिलियन डॉलर है। यह कर्ज रिपब्लिकन और डेमोक्रेटिक दोनों सरकारों के कार्यकाल में बढ़ता रहा है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने दूसरे कार्यकाल में अमेरिका को फिर से सवर्णिम बनाने का वादा किया था और इसके तहत उन्होंने फरवरी में 76 देशों पर उच्च टैरिफ लगाने की घोषणा की।
ट्रंप का कहना है कि इन टैरिफ के माध्यम से अमेरिका को पर्याप्त राजस्व प्राप्त होगा, जिससे देश की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा।
टैरिफ से घाटे में कमी
अगले 10 वर्षों में घाटे में कमी
यदि ट्रंप के द्वारा लगाए गए टैरिफ जारी रहे, तो अगले दशक में प्राथमिक घाटा 3.3 ट्रिलियन डॉलर तक कम हो सकता है। इसके साथ ही संघीय ब्याज भुगतान में 0.7 ट्रिलियन डॉलर की कमी आ सकती है। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि टैरिफ की दरें स्थिर रहेंगी या नहीं, क्योंकि व्यापारिक साझेदारों के साथ बातचीत जारी है।
टैरिफ से होने वाली अतिरिक्त आय, रिपब्लिकन के टैक्स-कट और खर्च बिल से होने वाले घाटे को कम करने में सहायक हो सकती है।
सरकार के कामकाज पर असर
सरकार को धन जुटाने की चुनौती
अमेरिकी कांग्रेस ने हमेशा संघीय सरकार को उसकी आय से अधिक खर्च करने की अनुमति दी है। सितंबर के अंत तक सरकार के लिए धन जुटाने की समय सीमा है। यदि खर्च बिल पास नहीं होते हैं, तो सरकार को कामकाज बंद करना पड़ सकता है।
अगस्त में अमेरिका में औसत टैरिफ दर 16.7% थी, जो जून में 15.1% थी। इस वित्तीय वर्ष में अमेरिकी सीमा शुल्क द्वारा 26 बिलियन डॉलर से अधिक का शुल्क लगाया गया है।
भारत पर टैरिफ का प्रभाव
भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ लागू होगा
अमेरिका ने जिन देशों पर उच्च टैरिफ लगाया है, उनमें भारत भी शामिल है। 27 अगस्त से सभी भारतीय उत्पादों पर 50 प्रतिशत की दर से टैरिफ लागू होगा, जिससे भारतीय निर्यात पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने की संभावना है।