क्या भारत को S-500 एयर डिफेंस सिस्टम की जरूरत है? रूसी विधायक अभय सिंह का सुझाव
भारत-रूस रक्षा सहयोग पर नई चर्चा
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की आगामी यात्रा से पहले, भारत और रूस के बीच रक्षा सहयोग एक बार फिर से सुर्खियों में है। इस बीच, पटना में जन्मे अभय सिंह, जो अब रूस के कुर्स्क विधानसभा के सदस्य हैं, ने भारत को रूस से अत्याधुनिक एयर डिफेंस प्रणाली S-500 खरीदने की सलाह दी है। उनका मानना है कि यह प्रणाली भारत के लिए एक महत्वपूर्ण रणनीतिक कदम हो सकती है।
S-500 की आवश्यकता पर अभय सिंह का दृष्टिकोण
अभय सिंह का कहना है कि भारत का मौजूदा S-400 सिस्टम प्रभावी है, लेकिन S-500 उससे कहीं अधिक उन्नत है। उनका दावा है कि इस प्रणाली की तकनीक इतनी विकसित है कि चीन के पास भी इसकी समानता नहीं है। अभय के अनुसार, S-500 भारत की हवाई सुरक्षा को नई ऊंचाइयों पर ले जाने में सक्षम होगा।
यह मिसाइल प्रणाली आधुनिक खतरों का बेहतर सामना कर सकती है और भारत के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि साबित होगी। उन्होंने यह भी कहा कि रूस के अत्याधुनिक लड़ाकू विमान सुखोई-57 भी भारत के लिए एक मजबूत विकल्प हैं।
अभय सिंह: एक रूसी विधायक की कहानी
अभय सिंह का जन्म पटना, बिहार में हुआ था। 1991 में, वे मेडिकल की पढ़ाई के लिए सोवियत संघ गए और वहीं बस गए। अब वे कुर्स्क विधानसभा के सदस्य हैं और यूनाइटेड रशिया पार्टी से जुड़े हुए हैं, जिसका नेतृत्व राष्ट्रपति पुतिन करते हैं। अभय का कहना है कि राजनीति उनके लिए एक स्वाभाविक प्रवृत्ति है और वे हर महीने जनता दरबार लगाकर लोगों की समस्याएं सुनते हैं।
पुतिन से प्रभावित अभय सिंह
USSR के विघटन के बाद, अभय सिंह ने पहली बार पुतिन को देखा और उनसे गहराई से प्रभावित हुए। उनके अनुसार, पुतिन ने रूस को एक मजबूत राष्ट्र बनाया है और आज रूस की अंतरराष्ट्रीय स्थिति अमेरिका के समकक्ष है। उनके राजनीतिक विचारों के कारण वे रूस में तेजी से लोकप्रिय हुए और विधानसभा तक पहुंचे।
भारत-रूस रक्षा सहयोग पर अभय का दृष्टिकोण
अभय सिंह का कहना है कि भारत जिन हथियारों का उपयोग कर रहा है, जैसे ब्रह्मोस और रूसी फाइटर जेट, वे सभी पूरी तरह से परीक्षण किए गए और विश्वसनीय हैं। हाल ही में हुए ऑपरेशन 'सिंदूर' का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि रूसी हथियारों ने अपनी क्षमता को फिर से साबित किया है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि रूस भारत के साथ तकनीक साझा करने के लिए भी तैयार है, जो भारत की आत्मनिर्भर रक्षा रणनीति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
