क्या भारत बन रहा है मैन्युफैक्चरिंग का नया गढ़? जानिए देवनहल्ली की कहानी

भारत का मैन्युफैक्चरिंग हब बनने की दिशा में कदम
भारत तेजी से एक प्रमुख मैन्युफैक्चरिंग केंद्र के रूप में उभर रहा है, और इसका एक प्रमुख उदाहरण कर्नाटक का देवनहल्ली क्षेत्र है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भले ही ऐपल को अमेरिका में आईफोन निर्माण की सलाह दी हो, लेकिन वास्तविकता यह है कि भारत में प्रोडक्शन करना ऐपल के लिए अधिक लाभकारी साबित हो रहा है। इसी कारण, ऐपल की प्रमुख मैन्युफैक्चरिंग साझेदार फॉक्सकॉन ने बेंगलुरु के निकट देवनहल्ली में 300 एकड़ में एक विशाल आईफोन असेंबली प्लांट स्थापित किया है.
स्थानीय अर्थव्यवस्था में बदलाव
न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, यह फैक्ट्री न केवल भारत की अर्थव्यवस्था को गति दे रही है, बल्कि स्थानीय रोजगार और बुनियादी ढांचे में भी महत्वपूर्ण बदलाव ला रही है। ट्रंप के व्यापार टैरिफ और अमेरिका में मैन्युफैक्चरिंग की जटिलताओं के कारण, ऐपल जैसी कंपनियां अब भारत जैसे देशों में अपने पैर पसार रही हैं.
भारत में आईफोन असेंबली की सरलता
रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिका में आईफोन का निर्माण ऐपल के लिए महंगा और कठिन है। अमेरिका में उच्च मजदूरी, कड़े श्रम कानून और भूमि की उपलब्धता जैसी समस्याएं ऐपल के लाभ को प्रभावित कर सकती हैं। इसके विपरीत, भारत में युवा जनसंख्या, कम वेतन पर कुशल श्रमिक और भूमि अधिग्रहण की सरल प्रक्रिया जैसे कई लाभ हैं.
फॉक्सकॉन का प्लांट: देवनहल्ली की नई पहचान
देवनहल्ली में फॉक्सकॉन द्वारा स्थापित यह प्लांट न केवल स्थानीय लोगों को रोजगार दे रहा है, बल्कि पूरे क्षेत्र का विकास भी कर रहा है। वर्तमान में, इस प्लांट में लगभग 8,000 लोग कार्यरत हैं, और वर्ष के अंत तक यह संख्या 40,000 तक पहुंचने की संभावना है। एक समय जो क्षेत्र वीरान था, वहां अब भूमि की कीमतों में 400% तक की वृद्धि हो चुकी है.
मेक इन इंडिया का प्रतीक
काउंटरपॉइंट रिसर्च की रिपोर्ट के अनुसार, 2024 की शुरुआत तक, दुनिया में बिकने वाले आईफोन्स में से 18% भारत में निर्मित होंगे। वर्ष के अंत तक यह आंकड़ा 30% तक पहुंचने की उम्मीद है। यह भारत के लिए न केवल एक औद्योगिक सफलता है, बल्कि 'मेक इन इंडिया' अभियान की भी एक बड़ी उपलब्धि है.
निवेश से देवनहल्ली का विकास
फॉक्सकॉन के आगमन के बाद, देवनहल्ली में कई मल्टीनेशनल कंपनियों, स्कूलों, अस्पतालों और रियल एस्टेट परियोजनाओं की शुरुआत हो चुकी है। यहां लगभग 57 मेगा हाउसिंग प्रोजेक्ट्स चल रहे हैं। बड़ी रियल एस्टेट कंपनियां और अंतरराष्ट्रीय संस्थान इस क्षेत्र में निवेश कर रहे हैं, जिससे यह क्षेत्र अब भारत के प्रमुख औद्योगिक हब्स में शामिल होने की ओर अग्रसर है.