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डोनाल्ड ट्रंप का टैरिफ फॉर्मूला: अमेरिका की व्यापारिक रणनीति का गणित

डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका के राष्ट्रपति बनने के बाद से टैरिफ को एक महत्वपूर्ण व्यापारिक उपकरण बना लिया है। हाल ही में व्हाइट हाउस ने टैरिफ निर्धारण की गणितीय प्रक्रिया का खुलासा किया है, जो भावनात्मक या राजनीतिक निर्णयों से परे है। इस लेख में जानें कि कैसे अमेरिका विभिन्न देशों पर टैरिफ लगाता है, विशेष रूप से भारत पर 25% टैरिफ की घोषणा के पीछे की वजहें और इसके संभावित प्रभाव। क्या यह व्यापार वार्ता को प्रभावित करेगा? जानने के लिए पढ़ें पूरा लेख।
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डोनाल्ड ट्रंप का टैरिफ फॉर्मूला: अमेरिका की व्यापारिक रणनीति का गणित

टैरिफ का गणित: अमेरिका की व्यापार नीति

डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद से, उन्होंने टैरिफ को अपने व्यापारिक रणनीति का एक महत्वपूर्ण उपकरण बना लिया है। कभी-कभी वे चीन पर भारी शुल्क लगाते हैं, तो कभी भारत जैसे देशों पर अचानक 25% टैरिफ की घोषणा कर देते हैं। इससे वैश्विक बाजार में अस्थिरता उत्पन्न हो रही है। लेकिन क्या यह सब बिना किसी योजना के हो रहा है? नहीं, इसके पीछे एक निश्चित गणितीय प्रक्रिया है।


व्हाइट हाउस का टैरिफ निर्धारण फॉर्मूला

हाल ही में व्हाइट हाउस ने एक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें बताया गया है कि अमेरिका किसी देश पर टैरिफ कैसे लगाता है। यह कोई भावनात्मक या राजनीतिक निर्णय नहीं है, बल्कि एक निर्धारित गणितीय फॉर्मूले पर आधारित है। इसी फॉर्मूले के तहत अमेरिका ने चीन, भारत और अन्य देशों पर शुल्क लगाया है।


टैरिफ की गणना कैसे की जाती है?

ट्रंप प्रशासन द्वारा जारी चार्ट में स्पष्ट किया गया है कि टैरिफ की गणना एक सरल गणितीय फॉर्मूले से की जाती है। पहले अमेरिका का उस देश के साथ व्यापार घाटा निकाला जाता है। फिर उस देश से होने वाले कुल आयात के आंकड़े से व्यापार घाटे को विभाजित किया जाता है। इस संख्या को दो से विभाजित करने पर अंतिम परिणाम उस देश पर लगाया गया टैरिफ प्रतिशत होता है। उदाहरण के लिए, यदि अमेरिका का चीन के साथ व्यापार घाटा 300 अरब डॉलर है और कुल आयात 440 अरब डॉलर है, तो गणना इस प्रकार होगी: 300 ÷ 440 = 0.75 (75%) और फिर 75 ÷ 2 = 37.5%। इसका मतलब है कि चीन पर लगभग 37.5% टैरिफ लगाया जाएगा। इसी तरह भारत पर 25% टैरिफ का निर्धारण किया गया है।


व्यापार घाटा क्या है?

व्यापार घाटा तब होता है जब कोई देश जितना निर्यात करता है, उससे अधिक आयात करता है। जब किसी देश की कुल आयातित वस्तुएं उसकी निर्यातित वस्तुओं से अधिक हो जाती हैं, तब व्यापार घाटा बढ़ता है। अमेरिका कई देशों से भारी मात्रा में सामान खरीदता है, जिससे उसका घाटा बढ़ता है और इसी आधार पर वह टैरिफ का सहारा लेता है।


भारत पर 25% टैरिफ का ऐलान

हाल ही में ट्रंप ने भारत पर 25% टैरिफ लगाने की घोषणा की है। इसका कारण बताया गया है कि भारत रूस से तेल और रक्षा उपकरण खरीद रहा है, जो अमेरिका की रणनीतिक नीतियों के खिलाफ है। यह टैरिफ पहले 1 अगस्त से लागू होना था, लेकिन अब इसकी डेडलाइन एक हफ्ते बढ़ा दी गई है और इसे 7 अगस्त से लागू किया जाएगा।


भारत-यूएस व्यापार वार्ता पर प्रभाव

भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौतों पर पांचवें दौर की बातचीत पूरी हो चुकी है। छठे दौर की वार्ता 25 अगस्त तक होने की संभावना है। हालांकि, ट्रंप द्वारा अचानक टैरिफ लगाने की घोषणा से इस वार्ता पर असर पड़ सकता है।


भारत को कृषि और डेयरी पर टैरिफ कम करने का दबाव

अमेरिका चाहता है कि भारत कृषि और डेयरी उत्पादों पर अपने टैरिफ कम करे, ताकि अमेरिकी उत्पाद भारतीय बाजार में आसानी से प्रवेश कर सकें। लेकिन भारत इस पर सहमत नहीं है। भारत का स्पष्ट कहना है कि वह राष्ट्रीय हित से कोई समझौता नहीं करेगा और देश के किसानों और डेयरी उद्योग को किसी भी तरह के नुकसान से बचाया जाएगा।


टैरिफ: आर्थिक और राजनीतिक हथियार

ट्रंप का टैरिफ फॉर्मूला केवल गणितीय नहीं है, बल्कि यह कूटनीतिक भी है। इसके जरिए अमेरिका अन्य देशों पर राजनीतिक और व्यापारिक दबाव बनाता है। भारत जैसे विकासशील देशों के लिए यह एक चुनौती है, जहां नीतिगत फैसले लेना राष्ट्रहित में आवश्यक है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि भारत और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता किस दिशा में आगे बढ़ती है।