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डोनाल्ड ट्रंप का नया आर्थिक फैसला: भारी टैरिफ का ऐलान

पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने दूसरे कार्यकाल की शुरुआत में विदेशों से आने वाले सामानों पर भारी टैरिफ लगाने की घोषणा की है। यह कदम अमेरिकी बाजार में गिरावट का कारण बन रहा है, जिससे निवेशकों में चिंता बढ़ गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे हर अमेरिकी नागरिक को सालाना लगभग ₹2,00,000 का नुकसान हो सकता है। इसके अलावा, वैश्विक व्यापार पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ने की आशंका है। ट्रंप प्रशासन इसे 'अमेरिका फर्स्ट' नीति का हिस्सा मानता है, जबकि आलोचकों का कहना है कि इससे घरेलू उत्पादन और रोजगार पर बुरा असर पड़ेगा।
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डोनाल्ड ट्रंप का नया आर्थिक फैसला: भारी टैरिफ का ऐलान

टैरिफ का ऐलान

पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने दूसरे कार्यकाल की शुरुआत में एक महत्वपूर्ण आर्थिक निर्णय लिया है, जिसमें उन्होंने विदेशों से आने वाले सामानों पर भारी टैरिफ लगाने की घोषणा की है। यह कदम अमेरिका के इतिहास में पिछले एक सदी का सबसे बड़ा टैरिफ माना जा रहा है, जिसका प्रभाव न केवल अमेरिकी बाजार पर, बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था पर भी पड़ने की संभावना है.


शेयर बाजार में गिरावट

टैरिफ की घोषणा के बाद अमेरिकी शेयर बाजार में भारी हलचल देखने को मिली है। केवल दो दिनों में बाजार में 10% से अधिक की गिरावट आई है, जिससे निवेशकों में चिंता बढ़ गई है। बाजार की स्थिति को देखते हुए अमेरिकी सरकार ने पहले इस निर्णय को 90 दिनों के लिए स्थगित किया था, लेकिन अब इसे 9 अगस्त से लागू करने की पुष्टि कर दी गई है.


अमेरिकी नागरिकों पर प्रभाव

विशेषज्ञों का मानना है कि इन टैरिफ के कारण अमेरिका के हर नागरिक को सालाना लगभग ₹2,00,000 ($2,400) का नुकसान उठाना पड़ सकता है, क्योंकि वस्तुओं की कीमतों में तेजी से वृद्धि होने की संभावना है.


वैश्विक मंदी का खतरा

अमेरिकी निर्यात उद्योग और कई अंतरराष्ट्रीय आर्थिक संस्थानों ने चेतावनी दी है कि इस टैरिफ नीति से वैश्विक व्यापार पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा और एक बार फिर दुनिया भर में आर्थिक मंदी का खतरा बढ़ सकता है.


आलोचना और समर्थन

जहां ट्रंप प्रशासन इसे 'अमेरिका फर्स्ट' नीति का हिस्सा मानते हुए देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने का कदम बता रहा है, वहीं आलोचकों का कहना है कि इससे घरेलू उत्पादन और रोजगार पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा. अर्थशास्त्रियों और व्यापार विशेषज्ञों की नजरें अब इस बात पर हैं कि आने वाले महीनों में इसका अमेरिका और वैश्विक बाजारों पर क्या असर होगा.