तमिलनाडु में जंगली हाथियों से किसानों की सुरक्षा को लेकर चिंता

जंगली हाथियों का बढ़ता खतरा
तमिलनाडु में मानव और जंगली हाथियों के बीच बढ़ते संघर्ष ने किसानों के लिए गंभीर चिंता का विषय बना दिया है। सरकार द्वारा सुरक्षा के लिए सौर ऊर्जा बाड़ लगाने का वादा किया गया था, लेकिन इसमें हो रही देरी ने किसानों को परेशान कर दिया है।कोयंबटूर, नीलगिरि, धर्मपुरी, कृष्णागिरी और इरोड जैसे क्षेत्रों में किसान लगातार जंगली हाथियों के खेतों में घुसने से भारी नुकसान का सामना कर रहे हैं। ये हाथी न केवल उनकी फसलों को नष्ट कर रहे हैं, बल्कि मानव जीवन के लिए भी खतरा बन गए हैं। कई जानें इस संघर्ष में चली गई हैं, और कुछ हाथियों की भी जान गई है।
किसानों का कहना है कि सरकार ने उन्हें जंगली जानवरों से बचाने के लिए 80 किलोमीटर लंबी सौर ऊर्जा बाड़ लगाने, खाई खोदने और निगरानी टावर बनाने का आश्वासन दिया था। हालांकि, इस महत्वपूर्ण परियोजना के कार्यान्वयन में लगातार देरी हो रही है।
स्थानीय किसान अपनी निराशा व्यक्त करते हुए कहते हैं कि वे हर दिन डर के साये में जी रहे हैं। उन्हें समझ नहीं आ रहा कि इतने वादों के बावजूद उनकी सुरक्षा के लिए आवश्यक कदम क्यों नहीं उठाए जा रहे हैं। उनका मानना है कि यदि ये सुरक्षात्मक उपाय समय पर लागू होते, तो फसल के नुकसान और जानमाल की क्षति को काफी हद तक कम किया जा सकता था।
वे सरकार से मांग कर रहे हैं कि बिजली बाड़ लगाने का कार्य तुरंत पूरा किया जाए और मानव व पशु दोनों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए। इसके साथ ही, फसल के नुकसान और जानमाल के नुकसान के लिए उचित मुआवजा भी दिया जाना चाहिए। किसानों का कहना है कि यदि तत्काल कार्रवाई नहीं की गई, तो उनका जीवन और आजीविका दोनों खतरे में रहेंगे और उन्हें बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन के लिए मजबूर होना पड़ सकता है।