तोरई की खेती से किसानों की आय में वृद्धि: मचान विधि का लाभ

तोरई की खेती में मचान विधि का उपयोग
तोरई की खेती के टिप्स: किसानों ने बीज बेचकर कमाए ₹1000 प्रति किलो: बिहार के छपरा जिले के किसान रणजीत सिंह ने मचान विधि से तोरई की खेती कर नई ऊंचाइयों को छुआ है। पारंपरिक खेती में बेलें जमीन पर फैलती हैं, जिससे फल मिट्टी के संपर्क में आकर खराब हो जाते हैं। लेकिन रणजीत ने इस समस्या का समाधान खोज निकाला है।
उन्होंने मचान विधि अपनाकर बेलों को मचान पर चढ़ाया। इससे फल जमीन से ऊपर रहते हैं, जो ताजे और चमकदार दिखते हैं। यही कारण है कि इनकी बाजार में मांग अधिक रहती है और अच्छे दाम मिलते हैं।
सब्जी और बीज से दोहरा लाभ
रणजीत सिंह ने बताया कि वे तोरई की खेती से दो तरह से लाभ कमाते हैं। पहले, वे ताजा सब्जी बेचते हैं, जो मचान पर उगने के कारण अधिक आकर्षक लगती है। जब सब्जी के दाम गिरते हैं, तो वे फलों को बीज के लिए बचा लेते हैं।
इन बीजों को सुखाकर वे ₹1000 प्रति किलो के भाव पर बेचते हैं। इस उच्च मूल्य के कारण उनकी आमदनी कई गुना बढ़ जाती है। यह तरीका न केवल लाभकारी है, बल्कि टिकाऊ भी है।
किसानों के लिए प्रेरणा स्रोत
रणजीत सिंह की यह तकनीक अब अन्य किसानों के लिए प्रेरणा बन रही है। उन्होंने बताया कि यदि किसान (तोरई की खेती की तकनीक) अपनाएं, तो वे अपनी आमदनी को दोगुना कर सकते हैं। मचान विधि से खेती करना सरल है और इसके लिए अधिक संसाधनों की आवश्यकता नहीं होती।
इससे न केवल फसल की गुणवत्ता में सुधार होता है, बल्कि बीज का व्यापार भी शुरू किया जा सकता है। यह तरीका विशेष रूप से उन किसानों के लिए फायदेमंद है जो कम जमीन में अधिक उत्पादन चाहते हैं।