त्योहारी सीजन में कार बिक्री पर GST कट की उम्मीद का असर

त्योहारी सीजन में बिक्री की चुनौतियाँ
भारत में त्योहारी मौसम को कार और अन्य महंगी वस्तुओं की बिक्री के लिए सबसे महत्वपूर्ण समय माना जाता है। हालाँकि, इस बार बाजार में तनाव का माहौल है। इसका मुख्य कारण GST दरों में संभावित बदलाव है। ग्राहक अब यह जानने के लिए इंतजार कर रहे हैं कि सरकार नए दरों को कब लागू करेगी। इस स्थिति के कारण डीलर्स और कंपनियों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
त्योहारों पर बिक्री का प्रभाव
दिवाली और नवरात्र जैसे त्योहार कार बिक्री के लिए महत्वपूर्ण अवसर होते हैं। लेकिन इस बार GST कट की चर्चा ने ग्राहकों को खरीदारी टालने पर मजबूर कर दिया है। लोग उम्मीद कर रहे हैं कि टैक्स में कमी के बाद गाड़ियाँ और इलेक्ट्रॉनिक्स सस्ते हो जाएंगे। इसीलिए, खरीदार फिलहाल खरीदारी से बच रहे हैं, जिससे डीलर्स की बिक्री प्रभावित हो रही है।
डीलर्स पर बढ़ता दबाव
फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन (FADA) के अनुसार, मौजूदा स्थिति डीलर्स के लिए एक बड़ा झटका है। पहले से ही बिक्री धीमी थी, और अब GST कट की उम्मीद ने मांग को और कम कर दिया है। डीलर्स ने त्योहारों के लिए पहले से ही स्टॉक बढ़ा लिया था और इसके लिए उन्होंने बैंक और NBFC से कर्ज भी लिया है। यदि अगले 45-60 दिनों में बिक्री में सुधार नहीं होता है, तो उन्हें ब्याज और कर्ज चुकाने में कठिनाई होगी।
कंपनियों पर दोहरी मार
ऑटो कंपनियों की स्थिति भी चिंताजनक है। पहले से ही कमजोर बिक्री के कारण, त्योहारी मांग में कमी से उनकी इन्वेंट्री बढ़ सकती है। इसके अलावा, E20 पेट्रोल के उपयोग से माइलेज में कमी की आशंका ने खरीदारों को और सोचने पर मजबूर कर दिया है। इस प्रकार, कंपनियों को आने वाले दिनों में दोहरी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।
महंगी वस्तुओं की बिक्री में कमी
कारों के अलावा, टीवी, एसी और अन्य महंगी वस्तुओं की बिक्री पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। लोग गणेश चतुर्थी से लेकर नवरात्र तक बड़ी खरीदारी से बच रहे हैं। कई डीलर्स भी नए स्टॉक लेने में हिचकिचा रहे हैं, क्योंकि उन्हें डर है कि मांग कमजोर रहेगी और माल अटक जाएगा।
दिवाली से उम्मीदें
इंडस्ट्री को उम्मीद है कि दिवाली और शादी-ब्याह का मौसम फिर से रौनक ला सकता है। अनुमान है कि दिवाली पर डिमांड में 15-18% की वृद्धि हो सकती है। लेकिन तब तक GST पर निर्णय आना आवश्यक है, अन्यथा डीलर्स और कंपनियों दोनों को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।