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दिल्ली सरकार ने प्राइवेट स्कूलों की फीस वृद्धि पर लगाई रोक

दिल्ली सरकार ने प्राइवेट स्कूलों की मनमानी फीस वृद्धि पर रोक लगाने का निर्णय लिया है। यह नया नियम 1 अप्रैल 2025 से लागू होगा, जिससे अभिभावकों को आर्थिक राहत मिलेगी। कैबिनेट की बैठक में पारित विधेयक अब उपराज्यपाल और राष्ट्रपति की मंजूरी का इंतजार कर रहा है। हाल के सर्वे में अभिभावकों ने फीस में भारी वृद्धि की शिकायत की है, और सरकार का यह कदम शिक्षा क्षेत्र में पारदर्शिता लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
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दिल्ली सरकार ने प्राइवेट स्कूलों की फीस वृद्धि पर लगाई रोक

दिल्ली सरकार का महत्वपूर्ण निर्णय

दिल्ली सरकार ने अभिभावकों को राहत प्रदान करते हुए प्राइवेट स्कूलों द्वारा फीस में मनमानी वृद्धि पर रोक लगाने का निर्णय लिया है। 10 जून 2025 को हुई कैबिनेट बैठक में, सरकार ने अध्यादेश के माध्यम से फीस वृद्धि पर रोक लगाने वाला विधेयक पारित किया। यह नियम 1 अप्रैल 2025 से प्रभावी होगा, जिससे दिल्ली के प्राइवेट स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के माता-पिता को आर्थिक बोझ से राहत मिलेगी।


कैबिनेट की बैठक में लिए गए निर्णय

कैबिनेट की बैठक में लिया गया निर्णय

मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में यह महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया। दिल्ली सरकार के मंत्री आशीष सूद ने बताया, "सरकार अध्यादेश के माध्यम से प्राइवेट स्कूलों की फीस वृद्धि को रोकने के लिए विधेयक लागू करेगी।" इस बैठक में दिल्ली स्कूल शिक्षा (शुल्क निर्धारण और विनियमन में पारदर्शिता) विधेयक, 2025 को मंजूरी दी गई। अब यह विधेयक उपराज्यपाल (एलजी) और फिर राष्ट्रपति के पास मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। मंजूरी मिलने के बाद यह कानून लागू हो जाएगा, जो प्राइवेट स्कूलों की मनमानी पर लगाम लगाएगा और अभिभावकों को राहत प्रदान करेगा.


फीस वृद्धि का बोझ

फीस वृद्धि का बोझ

हर साल अप्रैल में प्राइवेट स्कूल फीस में 10% से 40% तक की वृद्धि कर देते हैं, जिससे अभिभावकों पर भारी आर्थिक दबाव पड़ता है। हाल ही में LocalCircles द्वारा किए गए एक सर्वे में देशभर के 300 जिलों के 31,000 अभिभावकों से चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। सर्वे में 44% अभिभावकों ने बताया कि पिछले तीन वर्षों में स्कूल फीस में 50% से 80% की वृद्धि हुई, जबकि 8% ने कहा कि उनके बच्चों की फीस में 80% या उससे अधिक का इजाफा हुआ। सर्वे में 93% लोगों ने माना कि सरकार इस मुद्दे पर ठोस कदम नहीं उठा रही, जिससे स्कूलों को मनमानी की खुली छूट मिल रही है.


अभिभावकों की मजबूरी

अभिभावकों की मजबूरी

स्कूलों के पास अत्यधिक अधिकार हैं, जबकि अभिभावकों के पास विकल्प सीमित हैं। फीस वृद्धि की मांगों को समझना मुश्किल होता है, और सवाल उठाने पर बच्चों को निशाना बनाया जाता है। दिल्ली सरकार का यह कदम अभिभावकों के लिए उम्मीद की किरण है, जो शिक्षा क्षेत्र में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करेगा.