दिवाली पर मुहूर्त ट्रेडिंग: जानें इसका महत्व और समय

मुहूर्त ट्रेडिंग का परिचय
मुहूर्त ट्रेडिंग: दिवाली के उत्सव की तैयारी के बीच, भारत का शेयर बाजार एक विशेष वार्षिक परंपरा, मुहूर्त ट्रेडिंग, के लिए तैयार है। जबकि निवेशक इस अनुष्ठान से परिचित हैं, कई लोग यह नहीं जानते कि यह एक घंटे का विशेष सत्र क्यों आयोजित किया जाता है और इसके पीछे का उद्देश्य क्या है।
मुहूर्त ट्रेडिंग का महत्व
मुहूर्त ट्रेडिंग को संवत 2082 की शुरुआत का प्रतीक माना जाता है, जो हिंदुओं के नए वित्तीय वर्ष की शुरुआत को समृद्धि और आशा के साथ दर्शाता है।
इस बार मुहूर्त ट्रेडिंग कब होगी?
इस वर्ष, मुहूर्त ट्रेडिंग दीवाली के दिन, 21 अक्टूबर को आयोजित की जाएगी। निवेशक और ट्रेडर केवल एक घंटे के लिए एनएसई और बीएसई पर ट्रेड कर सकेंगे। इस दिन शेयर बाजार नियमित ट्रेडिंग के लिए बंद रहेगा और केवल एक घंटे के लिए विशेष सत्र के दौरान खोला जाएगा। इसके बाद, 22 अक्टूबर को बलिप्रतिपदा के अवसर पर भी बाजार बंद रहेगा।
मुहूर्त सत्र का समय
आमतौर पर मुहूर्त सत्र शाम को होता है, लेकिन इस बार यह दोपहर 1.45 बजे से 2.45 बजे के बीच आयोजित होगा। ट्रेड में बदलाव की अनुमति 2.55 बजे तक होगी, और ईक्विटी, फ्यूचर एंड ऑप्शन, कमोडिटी डेरिवेटिव्स, करेंसी डेरिवेटिव्स और सिक्योरिटी लेंडिंग और बोरोइंग सेग्मेंट में लेनदेन की अनुमति होगी।
मुहूर्त ट्रेडिंग का महत्व
संस्कृत के शब्द 'शुभ घड़ी' से निकला मुहूर्त ट्रेडिंग निवेशकों के लिए एक नई शुरुआत का प्रतीक है। यह परंपरा आस्था और वित्त का मिश्रण है, जो इस विश्वास को दर्शाती है कि इस समय किया गया निवेश आने वाले वर्ष में भाग्य लाता है। आमतौर पर, मुहूर्त ट्रेडिंग के दौरान शेयर बाजार में वृद्धि देखी जाती है। बीएसई सेंसेक्स पिछले 18 मुहूर्त सत्रों में से 14 में बढ़त के साथ बंद हुआ है। यहां तक कि 2008 में वैश्विक वित्तीय संकट के दौरान भी बीएसई में 5.86 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई थी। 2024 में भी इसमें 0.42 प्रतिशत की बढ़त देखी गई।