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नई जीएसटी दरें: सितंबर में लागू होने की संभावना

जीएसटी काउंसिल की आगामी बैठक में नई जीएसटी दरों पर चर्चा की जाएगी, जो 22 सितंबर से लागू होने की संभावना है। केंद्र सरकार ने मौजूदा चार स्लैब को घटाकर दो स्लैब 5% और 18% करने का प्रस्ताव रखा है। इस बदलाव का उद्देश्य त्योहारी सीजन में बिक्री को बढ़ावा देना है। जानें नई दरों से कौन-कौन सी वस्तुएं सस्ती होंगी और इससे उपभोक्ताओं को क्या लाभ होगा।
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नई जीएसटी दरें: सितंबर में लागू होने की संभावना

जीएसटी काउंसिल की बैठक में होगा अंतिम निर्णय


तीन और चार सितंबर को जीएसटी काउंसिल की बैठक में होगा दर परिवर्तन पर अंतिम निर्णय


नई जीएसटी दरें (बिजनेस डेस्क): प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हालिया ऐलान के बाद, देशवासियों को नई जीएसटी दरों के लागू होने का इंतजार है। जानकारों के अनुसार, केंद्र सरकार गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) की नई दरें 22 सितंबर से लागू कर सकती है। इसका उद्देश्य नवरात्रि और त्योहारी सीजन के दौरान विभिन्न सेक्टरों में बिक्री और मांग को बढ़ावा देना है।


सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, सरकार जीएसटी काउंसिल से दरों में बदलाव को तुरंत मंजूरी देने की अपील कर रही है। जीएसटी काउंसिल की 56वीं बैठक 3 से 4 सितंबर को नई दिल्ली में आयोजित होगी, जिसमें वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में दरों के प्रस्तावों पर चर्चा की जाएगी।


जीएसटी के चार स्लैब को घटाकर दो करने का प्रस्ताव

केंद्र सरकार जीएसटी के मौजूदा ढांचे को सरल बनाने के लिए 5% और 18% के दो स्लैब लागू करने का प्रस्ताव रख रही है। वर्तमान में जीएसटी के चार स्लैब- 5%, 12%, 18%, और 28% हैं। नई दरें 22 सितंबर से लागू होने की संभावना है, ताकि त्योहारी सीजन में बिक्री में तेजी आ सके। काउंसिल के निर्णय के बाद 5 से 7 दिनों के भीतर आधिकारिक नोटिफिकेशन जारी होने की उम्मीद है।


मंत्री समूह ने प्रस्ताव को दी मंजूरी

जीएसटी दरों में बदलाव पर एक महत्वपूर्ण बैठक में पिछले हफ्ते ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स ने केंद्र सरकार के दो स्लैब वाले प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया था। बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने 21 अगस्त को बताया कि ग्रुप ने मौजूदा 12% और 28% की दरों को हटाकर 5% और 18% के ढांचे के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। नई दरों से उपभोक्ता वस्तुओं की कीमतों में कमी आने की संभावना है, जिससे त्योहारी सीजन में खरीदारी को बढ़ावा मिल सकता है। हालांकि, राज्यों को राजस्व में कमी की चिंता है, जिसे केंद्र सरकार कई उपायों से हल करने का प्रयास कर रही है।


नई व्यवस्था में टैक्स में कमी

विशेषज्ञों के अनुसार, सूखे मेवे, ब्रांडेड नमकीन, टूथपाउडर, टूथपेस्ट, साबुन, हेयर ऑयल, सामान्य एंटीबायोटिक्स, पेनकिलर दवाएं, प्रोसेस्ड फूड, स्नैक्स, फ्रोजन सब्जियां, कंडेंस्ड मिल्क, कुछ मोबाइल, कुछ कंप्यूटर, सिलाई मशीन, प्रेशर कुकर, गीजर जैसी वस्तुओं पर टैक्स 12% से घटकर 5% हो जाएगा।


इसके अलावा, बिना बिजली वाले पानी के फिल्टर, इलेक्ट्रिक आयरन, वैक्यूम क्लीनर, 1000 रुपए से अधिक के रेडीमेड कपड़े, 500-1000 रुपए की रेंज वाले जूते, ज्यादातर वैक्सीन, एचआईवी/टीबी डायग्नोस्टिक किट, साइकिल, बर्तन पर भी कम टैक्स लगेगा। ज्योमेट्री बॉक्स, नक्शे, ग्लोब, ग्लेज्ड टाइल्स, प्री-फैब्रिकेटेड बिल्डिंग, वेंडिंग मशीन, पब्लिक ट्रांसपोर्ट वाहन, कृषि मशीनरी, सोलर वॉटर हीटर जैसे उत्पाद भी 12% के टैक्स स्लैब में आते हैं।