नए आयकर विधेयक में महत्वपूर्ण बदलाव: पेंशन और ग्रेच्युटी पर कर छूट

नया आयकर विधेयक: कानून बनने की ओर
नया आयकर विधेयक अपडेट: लोकसभा और राज्यसभा से मंजूरी मिलने के बाद, नया आयकर विधेयक 2025 अब कानून बनने की प्रक्रिया में है। यह अप्रैल 2026 से लागू होगा। इस विधेयक का सबसे महत्वपूर्ण परिवर्तन टीडीएस से संबंधित है। यदि करदाता समय सीमा चूक जाता है, तो वह आईटीआर दाखिल करके रिफंड प्राप्त कर सकेगा। इसके अलावा, जिन व्यक्तियों या संस्थानों पर कोई कर देयता नहीं है, उन्हें पहले से ही शून्य टीडीएस प्रमाणपत्र मिल जाएगा।
पेंशनभोगियों को राहत
नए कानून ने पेंशनभोगियों और उनके परिवारों के लिए महत्वपूर्ण राहत प्रदान की है। इसमें कम्युटेड पेंशन और ग्रेच्युटी पर एक मानक शामिल है। यदि कर्मचारी की मृत्यु हो जाती है, तो उसके परिवार को मिलने वाली ग्रेच्युटी पूरी तरह से कर-मुक्त होगी।
आम करदाता के लिए सरलता
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने राज्यसभा में बताया कि यह नया कानून केवल कर दरों में सुधार नहीं है, बल्कि इसकी भाषा और संरचना में भी सुधार किया गया है। उन्होंने कहा कि इसमें जटिल और पुरानी भाषा को हटाया गया है ताकि आम करदाता इसे आसानी से समझ सकें।
धाराओं और अध्यायों की संख्या में कमी
नए आयकर विधेयक की एक विशेषता यह है कि इसमें धाराओं और अध्यायों की संख्या को कम किया गया है। पुराने अधिनियम में 819 धाराएँ और 47 अध्याय थे, जिन्हें अब घटाकर 536 धाराएँ और 23 अध्याय कर दिया गया है। शब्दों की संख्या भी 5.12 लाख से घटाकर 2.6 लाख कर दी गई है।
विधेयक का तेजी से निर्माण
सीतारमण ने कहा कि यह विधेयक रिकॉर्ड छह महीने में तैयार किया गया। इसमें लगभग 75,000 मानव-घंटे लगे और आयकर विभाग की टीम ने इसका मसौदा तैयार करने के लिए लगातार मेहनत की। इसे पहली बार फरवरी 2025 के बजट सत्र में पेश किया गया था।
विपक्ष की प्रतिक्रिया
कांग्रेस सहित विपक्षी दल विधेयक पारित होने के समय सदन में उपस्थित नहीं थे। उन्होंने मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण के मुद्दे पर चर्चा की मांग करते हुए सदन से बहिर्गमन किया। वित्त मंत्री ने इस पर आश्चर्य व्यक्त किया और कहा कि विपक्ष पहले चर्चा के लिए सहमत था, लेकिन बाद में सदन से बहिर्गमन कर गया।
सरकार की योजनाएँ
वित्त मंत्री ने कहा कि मंत्रालय जल्द ही FAQ और सरल नियम जारी करेगा। इसके साथ ही, आयकर विभाग के कंप्यूटर सिस्टम को 2026 से पहले अपडेट किया जाएगा ताकि करदाताओं को किसी भी प्रकार की समस्या का सामना न करना पड़े।
आयकर अधिनियम में सुधार
करीब 60 वर्षों के बाद आयकर अधिनियम में इतना बड़ा सुधार किया गया है। यह बदलाव डिजिटल युग के अनुरूप करदाताओं को पारदर्शिता, सरलता और सुविधा प्रदान करेगा। कर की दर में बदलाव किए बिना, केवल संरचना और भाषा में सुधार से कर प्रणाली अधिक स्पष्ट और प्रभावी बनेगी।