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नुमालीगढ़ रिफाइनरी को मिला नवरत्न का दर्जा, वित्तीय स्वायत्तता में होगी वृद्धि

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने नुमालीगढ़ रिफाइनरी लिमिटेड को नवरत्न का दर्जा देने की घोषणा की है। इससे कंपनी को वित्तीय और परिचालन स्वायत्तता में वृद्धि होगी, जिससे वह बिना सरकारी मंजूरी के तेजी से निर्णय ले सकेगी। एनआरएल का वार्षिक कारोबार 25,147 करोड़ रुपये है और इसे वित्त वर्ष 2024-25 में 1,608 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ हुआ। जानें इस नए दर्जे के लाभ और कंपनी की शेयरधारिता के बारे में।
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नुमालीगढ़ रिफाइनरी को मिला नवरत्न का दर्जा, वित्तीय स्वायत्तता में होगी वृद्धि

नुमालीगढ़ रिफाइनरी को नवरत्न का दर्जा

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने नुमालीगढ़ रिफाइनरी लिमिटेड (एनआरएल) को नवरत्न का दर्जा प्रदान किया है। इससे पहले, यह कंपनी पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के अधीन मिनीरत्न का दर्जा रखती थी।


सरकारी घोषणा

वित्त मंत्रालय के सार्वजनिक उपक्रम विभाग ने मंगलवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर जानकारी साझा करते हुए कहा, "माननीय वित्त मंत्री ने नुमालीगढ़ रिफाइनरी लिमिटेड (एनआरएल) को नवरत्न केंद्रीय लोक उपक्रम (सीपीएसई) का दर्जा देने की स्वीकृति दी है। एनआरएल, सीपीएसई में 27वीं नवरत्न कंपनी बनेगी।"


एनआरएल का वित्तीय प्रदर्शन

एनआरएल, जो कि पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय की एक उपक्रम है, का वार्षिक कारोबार 25,147 करोड़ रुपये है। वित्त वर्ष 2024-25 में कंपनी ने 1,608 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ अर्जित किया।


शेयरधारिता का विवरण

एनआरएल के प्रमुख शेयरधारक ऑयल इंडिया लिमिटेड हैं, जिनके पास 69.63 प्रतिशत हिस्सेदारी है। इसके अलावा, असम सरकार के पास 26 प्रतिशत और इंजीनियर्स इंडिया लिमिटेड के पास 4.37 प्रतिशत शेयरधारिता है।


नवरत्न दर्जे के लाभ

नवरत्न का दर्जा मिलने से एनआरएल को वित्तीय और परिचालन स्वायत्तता में महत्वपूर्ण वृद्धि होगी। यह स्वायत्तता कंपनी को बिना सरकारी मंजूरी के तेजी से निर्णय लेने में सक्षम बनाएगी, जिससे वह घरेलू और वैश्विक बाजार में अधिक प्रभावी ढंग से प्रतिस्पर्धा कर सकेगी। कंपनी को एक ही परियोजना पर 1,000 करोड़ रुपये या अपनी नेट वर्थ का 15 प्रतिशत तक निवेश करने की अनुमति मिलेगी।